“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” इस नारे से सभी के दिलों में देश भक्ति की भावना को जगाने वाले सुभाष चंद्र बोस की आज 119वीं जयंती है। नेता जी को आज के इस युग में हर कोई याद कर रहा है और करे भी क्यों ना, आखिर उनके जैसे व्यक्तित्व वाली शख्सियत का आज तक इस धरती पर दोबारा जन्म नहीं हुआ है। वो एक वीर सैनिक, महान सेनापति, अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुरुष और राजनीति के महान खिलाड़ी थे। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था।
सुभाष चंद्र बोस ने पांच वर्ष की आयु में अंग्रेजी का अध्ययन प्रारम्भ कर दिया था, लेकिन युवावस्था तक इनके दिल में देश भक्ति की ऐसी भावना जाग्रत हुई कि उन्होंने अपना पूरा जीवन ही राष्ट्रसेवा में अर्पित कर दिया।
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक सर्वकालिक नेता थे, जिनकी ज़रूरत इस देश को कल भी थी और आज भी है। नेताजी एक ऐसे वीर सैनिक थे जिनकी गाथा यह देश हर समय सुनाता रहेगा। उनके विचार, कर्म और आदर्श अपना कर राष्ट्र वह सब कुछ हासिल कर सकता है जिसका वह हक़दार है। सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान की मदद लेकर आजाद हिन्द फौज का निर्माण किया। इसके साथ ही उन्होंने एक नारा भी दिया ‘जय हिन्द’। यह नारा किसी के भी दिल में देश भक्ति की भावना पैदा करने के लिये काफी है।
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नेताजी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के उन योद्धाओं में से एक थे जिनका नाम और जीवन आज भी करोड़ों देशवासियों को मातृभमि के लिए समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा देता है। वे एक सफल संगठनकर्ता थे। उनकी वाक्-शैली में जादू था और उन्होंने देश से बाहर रहकर ‘स्वतंत्रता आंदोलन’ चलाया। नेताजी मतभेद होने के बावज़ूद भी अपने साथियों का मान सम्मान रखते थे। उनकी व्यापक सोच आज की राजनीति के लिए भी सोचनीय विषय है। आज उनकी जयंती के अवसर पर उनकी मृत्यु से संबंधित दस्तावेजों को भी सार्वजनिक किया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इनके माध्यम से नेताजी के जीवन से जुड़े रहस्यों का पता चल सकेगा।