आज का इतिहास वास्को डा गामा ने भारत की खोज की

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इतिहास में आज का दिन काफी खास है। आज के दिन ही वास्को डा गामा ने कालीकट पहुंचकर भारत की खोज की। पहले यूरोपी देशों के लिए भारत एक पहेली जैसा था। अरब देशों के साथ यूरोप व्यापार करता था। अरब देशों से यूरोप मसाले जैसे काली मिर्च और चाय खरीदता था। लेकिन अरब के कारोबारी उन्हें यह नहीं बताते थे कि यह मसाले वह पैदा किस जगह करते हैं। यूरोप इस बात को समझ चुका था कि अरब के कारोबारी कुछ ना कुछ जरूर छुपा रहे हैं।

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उस देश की खोज में यूरोप के कई नाविक निकल गए। इनमें से एक का नाम क्रिस्टोफर कोलंबस, वह इटली के निवासी थे। भारत खोजने निकले कोलंबस अटलांटिक महासागर में भम्रित हो गए और अमेरिका की तरफ पहुंच गए। कोलंबस को लगा कि अमेरिका ही भारत है। इसी कारण वहां के मूल निवासियों को रेड इंडियंस के नाम से जाना जाने लगा। कोलंबस की यात्रा के करीब 5 साल बाद पुर्तगाल के नाविक वास्को डा गामा जुलाई 1497 में भारत की खोज में निकले।

ऐसा कहा जाता है कि वास्को डा गामा पहले सीधे दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे, वहां पर उन्होंने कई भारतीयों को देखा। उनके जरिए वास्को डा गामा ने अनुमान लगाया कि भारत अभी काफी आगे है। आगे जाकर वह हिंद महासागर पहुंच गए, खाना कम पड़ने पर उनके अधिकतर साथी बीमार पड़ गए। अपने साथियों की जान बचाने के लिए वह मोजाम्बिक में रुके। मोजाम्बिक के सुल्तान को वास्को डा गामा ने कुछ उपहार दिए, तोहफें मिलने पर सुल्तान खुश हुए और फिर उन्होंने भारत का रास्ता खोचने में उनकी मदद की।

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20 मई 1498 को वास्को डा गामा कालीकट तट पहुंचे और वहां के राजा से कारोबार के लिए हामी भरवा ली। कालीकट में 3 महीने रहने के बाद वास्को पुर्तगाल लौट गए। वर्ष 1499 में भारत की खोज की यह खबर फैलने लगी। इसके बाद भारत पर कब्जा जमाने के लिए कई राजाओं ने कोशिश की।

1503 में वास्को पुर्तगाल लौट गए और बीस साल वहां रहने के बाद वह भारत वापस चले गए। 24 मई 1524 को वास्को डी गामा की मृत्यु हो गई और फिर उनके अवशेषों को पुर्तगाल लाया गया। लिस्बन में वास्को के नाम का एक स्मारक है, इसी जगह से उन्होंने भारत की यात्रा शुरू की थी।

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