इतिहास के पन्नों में पेशवा बाजीराव प्रथम एक ऐसा नाम है, जो एक महान सेनानायक के रूप में जाने जाते हैं। 28 अप्रैल का दिन मराठा साम्राज्य के लिए काफी दुखद रहा क्योंकि आज के दिन ही सन् 1740 में रावेरखेडी, पश्चिम निमाड, मध्य प्रदेश में बाजीराव प्रथम का निधन हुआ था। पेशवा बाजीराव प्रथम को लोग थोरले बाजीराव और बाजीराव बल्लाल के नाम से भी जानते हैं।
मराठा साम्राज्य के विस्तार में इनका एक बहुत ही बड़ा योगदान है। इनके कुशल रणकौशल और नेतृत्व के कारण ही मराठा साम्राज्य का उत्तर भारत में विस्तार हुआ था। बाजीराव का जन्म 18 अगस्त सन् 1700 को हुआ था। बाजीराव का पूरा नाम बाजीराव बालाजी भट था। इनके पिता का नाम बालाजी विश्वनाथ था जो स्वयं शाहूजी महाराज के पेशवा थे और मां का नाम राधाबाई था।
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बाजीराव को बचपन से ही तीरंदाजी, घुड़सवारी, तलवार भाला चलाने, लाठी, बनेठी आदि को चलाने का बहुत शौक था। जब उनके पिता का निधन हुआ तो उन्हें शाहूजी महाराज का पेशवा बना दिया गया था। उस समय बाजीराव केवल 20 वर्ष के ही थे। इसके बाद तो मानो मराठा साम्राज्य के दिन ही बदल गए। दिन प्रति दिन मराठा साम्राज्य का विस्तार होने लगा। बाजीराव में जन्म से ही नेतृत्व शक्ति थी। जिसके बल पर उन्होंने मराठा साम्राज्य को भारत में सबसे ज्यादा शक्तिशाली बना दिया था।
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बाजीराव ने सन् 1724 में मुबारिज खां को परास्त कर शकरलेडला पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने 1724 से 1726 के बीच मालवा व कर्नाटक पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित किया। बाजीराव ने अपने जीवनकाल में कई राज्यों पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया और इसी कारण विश्व के इतिहास में बाजीराव को एक ऐसा योद्धा माना जाता है जिसने कभी भी अपने जीवन में हार का सामना नहीं किया। कई लोग तो बाजीराव को शिवाजी का अवतार भी मानते थे क्योंकि वो भी शिवाजी की तरह वीर तथा पराक्रमी थे।