विश्व के इतिहास में आज के दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं, लेकिन भारत के इतिहास के पन्नों में आज का दिन बेहद खास माना जाता है। आप सब इस बात से तो अच्छे से वाकिफ होंगे की दुनिया की सबसे उंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतह करने वाली देश की पहली महिला बछेंद्री पाल थी। जिन्होंने इस कारनामे को आज के दिन यानि की 23 मई 1984 को एक बजकर सात मिनट पर किया था। एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली ये दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही है। साल 1984 को जब भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ था। उनकी इस टीम में बछेंद्री के अलावा 7 महिलाएं और 11 पुरूष शामिल थे। जिन्होंने 23 मई 1984 के दिन 8,848 की ऊंचाई पर स्तिथ सागरमाथा यानि की एवरेस्ट पर देश का तिरंगा झंडा लहराया था।
इसके बाद उन्होंने साल 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कोलकात्ता तक 2500 किलोमीटर लंबे नौका अभियान नेतृत्व भी किया। वहीं हिमालय के गलियारें में नेपाल, लेह, भूटान और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए काराकोरम पर्वत श्रृंखला पर खत्म होने वाला 4000 किलोमीटर लंबा अभियान भी उनके द्वारा ही पूरा किया गया। हाल फिलहाल में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं। जहां पर वह चुने हुए लोगों को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैँ। उनका जन्म उतराखंड के उत्तरकाशी जिले के नकुरी गांव में सन 1955 को हुआ था। किसान के परिवार में जन्मी बछेंद्री ने बी.एड तक पढ़ाई भी की। लेकिन इसके बावजदू भी उन्हे कोई अच्छा रोजगार नहीं मिला। जिसके बाद निराश होकर उन्होंने नौकरी करने की बजाए ‘नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग’ कोर्स के लिये आवेदिन किया। जिससे उनके जीवन को नई राह मिली।
हालांकि पेशेवर पर्वतरोही का पेशा अपनाने की वजह से उन्हे अपने परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। लेकिन वह कभी अपने मिशन से पीछे नहीं हटी। जिसका नतीजा आज सबके सामने हैं की दुनिया उन्हें जानती है। बता दें की 1 अगस्त 2014 को देश की इस पहली महिला पर्वतारोही को ईस्ट बंगाल क्लब ने सर्वोच्च सम्मान भारत गौरव से सम्मानित किया था। जिसमें सम्मान स्वरूप उन्हें दो लाख रूपये का चेक दिया गया।