भारतीय सेना के जवान, जिन के कंधो पर पूरे देश की रक्षा का जिम्मा होता है। जिनकी सुरक्षा के चलते ही हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं। आज हमारे देश में ऐसा ही एक जवान और शहीद हो गया है। वह सिक्किम में 14 हजार फीट की उंचाई पर बर्फबारी और तुफान के बीच युद्ध का अभ्यास कर रहे था। जिस वक्त उनके सिर में अचानक से दर्द उठा और वह वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं सेना के इस जवान के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर उनके गांव में पहुंचा दिया गया है। यह जवान राजस्थान के सीकर जिले के कूदन गांव का रहने वाला था। जहां पर शहीद के शव के आते ही कई गांवों में हाहाकार मच गया और उनको अंतिम विदाई देने जन सैलाब उमड़ पड़ा। यहां पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया, जिसमें करीब आधा दर्जन गांवों के लोग शामिल हुए। वहीं उनकी पत्नी और परिवार का काफी बुरा हाल देखने को मिल रहा है।
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शहीद को आखिरी विदाई देने के लिए उनकी पत्नी, जिनका नाम गीता देवी है। वह भी मोक्ष धाम पर पहुंची थी। उस दौरान उनके पति की रेजीमेंट के देवकरणसिंह बिजारणियां और बाजौर ने उनकी पत्नी को तिरंगा सौंपा। पति की इस आखिरी निशानी को मिलते ही उसने इसे अपने सिर और माथे से लगाया और अंतिम संस्कार तक उसे अपने सीने से ही लगाए खड़ी रही। चार साल के बेटे आर्यन ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। वहीं शहीद के बड़े भाई का कहना है कि वह 5 जून को छुट्टियां लेकर घर आने वाला था लेकिन अब तो सिर्फ उसकी यादें ही हमारे साथ रहेंगी।
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चलिए अब हम आपको बता देते हैं कि सुभाषचन्द्र कैसे शहीद हुए थे। उनके साथी अशोक और अरविंद के मुताबिक वह हार मानने वाले इंसानों में से नहीं थे लेकिन भारी बर्फबारी होने के चलते उनकी तबीयत थोड़ी खराब थी। वहीं 25 मई को सिक्किम में युद्धाभ्यास के दौरान उन्हें अचानक सिरदर्द की शिकायत हुई और वह अगले ही दिन वह 2.15 बजे वह वीरगति को प्राप्त हो गये।