चंद मिनटों में ही यह महिला बन गई लखपति

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दुनिया में अमीर बनने का सपना हर कोई देखता है क्योंकि हर कोई सोचता है कि उसके पास में दुनिया की सभी सुविधाएं हो और उसको जीवन में किसी प्रकार की कोई परेशानियां न उठानी पड़े, देखा जाए तो निचले तबके से उठ कर अमीर बनने में एक लंबा समय कड़ी मेहनत और बड़े आत्म विश्वास की जरुरत होती है पर इस बात को क्या कहा जाए जब आप सिर्फ चंद मिनटों में ही अमीर बन जाए। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहें हैं जो कुछ ही मिनटों में बन गई अमीर, आइये जानते हैं इस महिला के बारे में।

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यह मामला कानपुर का है और यहां की उर्मिला यादव नामक एक महिला से जुड़ा है। उर्मिला भी उन महिलाओं में से एक थी जिनके बहुत से सपने होते हैं पर उसके पति की सैलरी महज 5 हजार थी, जिसके चलते वह अपना कोई सपना पूरा नहीं कर सकी पर अचानक उसके साथ में एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि वह कुछ ही मिनटों के अंदर इतनी अमीर हो गई, जिसके बारे में उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। उर्मिला इस बारे में बताते हुए कहती है कि “पिछले साल जून महीने में मैंने स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया की यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (UPSIDC) ब्रांच में 1000 रुपए में खाता खुलवाया था। 29 जुलाई को अपनी पासबुक अपडेट कराने बैंक पहुंची थीं। जब उन्होंने पासबुक में एंट्री करवायी तो वो हैरान रह गयी क्योंकि उनके सेविंग अकाउंट में 9 लाख 57 हजार करोड़ रुपए जमा दिखा रहे थे। इतनी बड़ी रकम देख उर्मिला हैरान थी, थोड़ी देर तक मैं बैंक में ही बैठ गई। इसकी जानकारी जब उन्होंने बैंक अफसरों को दी तो उनके भी होश उड़ गए। उर्मिला ने बैंक अफसरो से कहा ”साहब ये रुपया जिसका हो उसको बोल दो कि वो आकर लेते जाए। गलती से किसी का पैसा हमारे खाते में आ गया है।”

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बैंक के मैनेजर ने कहा की असल में उर्मिला की पासबुक में यह सब मिस प्रिंटिंग के कारण हुआ था, उनके खाते में सिर्फ दो हजार रूपए हैं। उर्मिला इसके बाद की स्थिति बताते हुए कहती है कि ” बैंक की एक गलती की वजह से मैं महीनों बीमार रही। कई दिनों तक मेरे सिर में दर्द होता रहा। सपने में रुपए ही रुपए नजर आते थे। इन रुपए को लेकर मेरे मन में हमेशा एक डर बैठा रहता था। दरवाजे पर आज भी जब भी कोई आहट होती है तो मन में डर बैठ जाता है। मुझे लगता था कि मेरे अकाउंट में आए रुपए को लेकर कही बैंक के अफसर या पुलिस तो नहीं आ गई। मुझे ढे़रों रुपए की चाह नहीं है, बस उतना चाहती हूं, जितने में परिवार खुश रहे।”

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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