कुछ व्यक्ति आम लोगों से भी ज्यादा ऊंचे दर्जे के होते हैं और ऐसे ही एक व्यक्ति से आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में मिलवा रहें हैं, कहा जाता है ये हजारों सालों से जीवित हैं और एक महान योगी हैं। जी हां, आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं, वे वास्तव में एक योगी हैं और हजारों सालों से इस दुनिया में जीवित हैं। वहीं यह लगातार इस दुनिया के कल्याण के लिए आदिकाल से कार्य करने में जुटे हुए हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में।
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योगी कथामृत नामक पुस्तक योगी परमहंस योगानंद की ऑटोबायोग्राफी है जिसको खुद परमहंस जी ने ही लिखा है। यह एक लोकप्रिय पुस्तक है जो की आध्यात्मिक लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस पुस्तक में ही में परमहंस योगानंद ने हजारों वर्षों से जीवित इस महान योगी का वर्णन 1945 में किया था और बताया था किस प्रकार से यह हिमालय पर रहते हुए लोगों के कल्याण का कार्य करते रहें हैं।
आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि हजारों सालों से जीवित इन योगी का असल नाम कोई नहीं जानता है, पर लोग इनको “महावतार बाबा जी” या “बाबा जी” के उपनाम से ही जानते हैं। बाबा जी की उम्र हजारों वर्षों पुरानी है इसलिए ही बाबा जी की उम्र का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है, ऐसा कहा जाता है कि संत कबीर तथा जगतगुरु शंकराचार्य को भी इन्ही “महावतार बाबा जी” ने दीक्षित किया था यानि अपना शिष्य बनाया था। बाबा जी के परिवार और सामाजिक जीवन के बारे में किसी को कुछ नहीं पता है, वे हमेशा से अकेले ही रहते आए हैं, पर अब तक उनको जिसने भी देखा है उसने बाबा जी की उम्र महज 25 से 30 वर्ष ही बताई है। बाबा जी के प्रिय शिष्य लाहिड़ी महाराज ने भी बाबा जी के दर्शन के समय उनकी उम्र महज 25 से 26 वर्ष ही बताई थी। परमहंस योगानंद ने अपनी आत्मकथा “योगी कथामृत” में हिमालयवासी इन “महावतार बाबा जी” के बारे में कई घटनाओं का वर्णन किया है।