दो चेहरों के साथ इस शख्स ने बिताई अपनी ज़िंदगी

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ये दुनिया दिखने मे जितनी सुन्दर है, उतनी ही अजीबो गरीब भी है। इस दुनिया में ना जाने ऐसी कितनी चीजे हैं जिन्हें समझ पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं हो पाता। आपने रामायण की कहानी तो सुनी ही होगी। रामायण में जब भी रावण का जिक्र किया जाता है तो उसे दस सिरों वाला कहा जाता है। रामायण एक पौराणिक कथा है तथा वो समय भी अलग था। उस समय लोग हजारों तप कर के ऐसे वरदान मांगते थे, लेकिन उस समय और आज के समय में बहुत अन्तर है। आज अगर किसी के दो सिर होते हैं तो वो किसी वरदान के कारण नहीं बल्कि गर्भावस्था के दौरान किसी समस्या के कारण होते हैं।

आजकल ऐसे बहुत से मामले सुनने को मिल जाते हैं जिसमें यह देखने को मिलता है कि किसी बच्चे का जन्म दो सिरों के साथ हुआ हो। आमतौर पर इस तरह के बच्चों की मौत हो जाती है, लेकिन कुछ बच भी जाते हैं। कुछ ऐसे ही रहे इंग्लैंड के एडवर्ड मॉर्ड्रेक, जिन्होंने दो चेहरों के साथ अपनी पूरी ज़िंदगी बिता दी।

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एडवर्ड के दो सिर होने की खास बात यह थी कि इनके दोनों सिर के पिछले हिस्से आपस में जुड़े हुए थे। अक्सर लोगों के दो सिर अलग-अलग होते हैं, लेकिन एडवर्ड का केस अलग था। इनके दो चेहरे थे, एक आगे और एक पीछे। जिसके कारण इनकी दो नाक, चार आंखें, लेकिन कान दो ही थे। एडवर्ड का जो सिर पीछे की तरफ था वो कुछ सीमित कार्य ही कर सकता था। वो अपने पीछे वाले चेहरे से देख तो सकते थे लेकिन बोल नहीं सकते थे। इतना ही नहीं वो पिछले चेहरे से खाना भी नहीं खा सकते थे। अपने पीछे वाले सिर से वो हंस सकते थे तथा रो भी सकते थे।

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डॉक्टरो सें की बात

एडवर्ड अपनी स्थिती से काफी परेशान थे। वो हर समय ये ही सोचते रहते थे कि किसी भी तरह उन्हें इस दो सिरों से छुटकारा मिल सके, लेकिन उस समय विज्ञान के क्षेत्र में इतनी तरक्की नहीं हुई थी तथा एडवर्ड के लिए भी यह मामला काफी अलग था। एडवर्ड ने कई डॉक्टरों से इस विषय पर बात की थी कि वो उन्हें इन दो चेहरों से छुटाकार दिला दें, लेकिन एडवर्ड की हालत को देख कर कोई भी डॉक्टर इस काम के दिए तैयार नहीं हुआ क्योंकि एडवर्ड के दो चेहरे एक ही सिर से जुड़े हुए थे। देखने में ये चेहरे बेशक अलग-अलग लगते थे लेकिन यह अलग नहीं थे क्योंकि एडवर्ड के यह दोनों ही चेहरे एक ही दिमाग से जुड़े हुए थे। जिसके कारण इनकी सोचन समझने की शक्ति भी एक ही थी। जिसके कारण डॉक्टरों के लिए यह मामला एक बहुत ही बड़ी चुनौती था।

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आखिरकार हार गई जिन्दगी

एडवर्ड ने इन दो चेहरों के साथ जीने का बहुत प्रयास किया लेकिन वो ज्यादा समय तक अपने हालातों से लड़ नहीं सके और उन्होंने 23 साल की आयु में ही आत्महत्या कर ली। जब उनकी आत्महत्या के बारे में लोगों को पता चला तो यह पूरी दुनिया में एक बहुत ही बड़ा चर्चा का विषय बन गया था। जिसके बाद हर किसी ने अपने-अपने तरीके से यह बताने का प्रयास किया कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। कई लोगों ने तो यह तक कहा कि जो जीवन उन्होंने अपने लिए नहीं चुना था उस जीवन से उन्होंने मुक्ति पा ली।

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