नवदुर्गा के 9 रूपों के बारे में आप जानते ही होंगे, पर शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि ये 9 रूप 9 औषधियों में भी होते हैं। आज हम आपको इन 9 औषधियों के बारे में ही यहां बता रहें हैं। जी हां, आज हम आपको उन 9 औषधियों के बारे में बता रहें हैं जिनमें नवदुर्गा के 9 रूप बसते हैं। आपको हम बता दें कि मां दुर्गा के इन 9 रूपों के बारे में मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति में बताया गया है तथा इसी रहस्य को दुर्गाकवच में ब्रह्मा जी द्वारा भी कहा गया है।
यह मान्यता है कि ये औषधियां मानव को सभी रोगों से बचा कर रखती है तथा उसको स्वस्थ जीवन प्रदान कर एक कवच के रूप में कार्य करती हैं, इसलिए शायद उसको ‘दुर्गा कवच” नाम दिया गया है। नवदुर्गा के इन सभी औषधिय रूपों के बारे में हम आपको प्रतिदिन बताएंगे। आज नवदुर्गा का प्रथम दिन देवी शैलपुत्री का है इसलिए आज हम आपको बताते हैं देवी शैलपुत्री से सम्बंधित रूप की औषधि के बारे में।
आपको हम बता दें कि देवी शैलपुत्री का औषधीय रूप “हरड़” को कहा जाता है और यह 7 प्रकार की होती है। आइए जानते हैं इसके 7 रूपों और इसके गुणों के बारे में।
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देवी शैलपुत्री का औषधीय रूप हरड़- हरड़ को आयुर्वेद की प्रथम औषधि माना जाता है जो कि मानव की बहुत सी समस्याओं में काम आती है। यह 7 प्रकार की होती है।
1 – हरीतिका (हरी) – यह भय को खत्म करती है।
2 – श्रेयसी(यशदाता) शिवा – यह कल्याण करने वाली होती है।
3 – हेमवती – हिमालय पर पैदा होने के कारण इसको हेमवती कहा जाता है।
4 – कायस्थ – शरीर को स्वस्थ बनाए रखने वाली।
5 – चेतकी – यह चित्त को प्रसन्न रखती है इसलिए इसको चेतकी कहा जाता है।
6 – अमृता – यह अमृत के सामान कार्य करती है इसलिए इसको अमृता कहा जाता है।
7 – पथया – यह सभी का हित करती है इसलिए इसको पथया कहा जाता है।