विख्यात होने के साथ ही चमत्कारी प्रभावों वाले मंदिर में भक्तों को दर्शन करने में बेहद ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। रायपुर के गरियाबंद जिले में बना निरई माता का मंदिर अपनी बेमिसाल खूबियों के लिए जाना जाता है। यह मंदिर मात्र 5 ही घंटे के लिए खोला जाता है, जैसे ही इस मंदिर का पट खुलता है लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए हजारों की संख्या में बकरों को काट कर उनकी बलि देनें में जुट जाते है। लोगों का मानना है कि इस तरह करने से मां देवी जल्द ही प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामनाये पूर्ण कर देती है।
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निरई माता का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से 12 कि.मी. दूर एक पहाड़ी पर बना है। यह मंदिर बकरे की बलि प्रथा के कारण ही ज्यादा विख्यात है, जो यहां के लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। इस मंदिर के अंदर सिर्फ पुरूषों को ही जाना अनिवार्य है। यहां पर की जाने वाली सभी पूजा को सिर्फ पुरुष के ही द्वारा संपन्न किया जाता है। यहां तक कि देवी के प्रसाद को महिलाओं को नहीं दिया जाता है। माना जाता है कि महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने से इस जगह के लोगों को किसी बड़ी अनहोनी का सामना करना पड़ता है। इस मंदिर के पट हर साल चैत्र नवरात्रि के दिनों में पहले रविवार को ही खुलते हैं। इस देवी के दर्शन मात्र 5 घंटे के लिए ही होते पाते हैं।