रामचरित मानस को कौन नहीं जानता। भगवान राम के जीवन के इस प्रेरक ग्रंथ का प्रत्येक पात्र एक आदर्श व्यक्तित्व को प्रस्तुत करता है। परिवार तथा समाज से लेकर राष्ट्रधर्म तक के स्वर्णिम सूत्र इस ग्रंथ से कोई भी सहज ही पा सकता है। रामचरित मानस उन लोगों तक भी पहुचें जिनको हिंदी नहीं बल्कि उर्दू भाषा का ज्ञान है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की एक मुस्लिम महिला डॉ माहे तलत सिद्दकी ने रामचरित मानस का उर्दू में अनुवाद किया है। डॉ माहे तलत सिद्दकी कहती हैं कि “जिन लोगों को हिंदी नहीं आती है। वे लोग भी रामचरित मानस से लाभांवित हो सकें इसलिए ही मैंने इसका उर्दू अनुवाद किया है। श्रीराम एक महापुरुष हैं और वे एक ऐसे आदर्श हैं जिनके विचारों को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए।”
हिंदी में की है पीएचडी –
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आपको बता दें कि डॉ माहे तलत सिद्दकी ने हिंदी विषय से पीएचडी की है। उनके पति जुबैर एक बिजनेसमैन हैं तथा उनका बेटा सिंगापुर में स्कूली पढ़ाई कर रहा है। डॉ माहे तलत सिद्दकी की मां मुस्लिम डिग्री कॉलेज में उर्दू विभाग की एचओडी थी तथा पिता लेबर अधिकारी थे। डॉ तलत को बचपन से ही हिंदू धर्म के प्रति आकर्षण था। डॉ माहे तलत बताती हैं कि करीब 2 वर्ष पहले उनको बद्री नारायण तिवारी ने रामचरित मानस दी थी। इस ग्रंथ का उन्होंने गहराई से अध्ययन किया तथा इसका उर्दू अनुवाद करना शुरू कर दिया। उर्दू अनुवाद के लिए डॉ माहे तलत ने अपनी मां से भी सहायता ली है ताकी रामायण के दोहों का सही से अनुवाद किया जा सके। मैं जब रामचरित मानस को अपने घर लेकर आई थीं। तब लगता था की लोग इसका विरोध करेंगे। लेकिन किसी ने कोई विरोध नहीं किया शायद लोग पहले से ज्यादा समझदार हो गए हैं। रामचरित मानस के मूल दोहों का अर्थ न बदले इसके लिए मैंने अपनीं मां की सहायता भी ली है। इसके अलावा मैं किदवई नगर के रामेश्वर मंदिर में काव्य पाठ भी करती हूं” इस प्रकार भगवान राम के जीवन तथा उनके आदर्शों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए डॉ माहे तलत सिद्दकी ने एक महान कार्य को पूरा किया है।