हमारे देश में जहां लोग अपने निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए धर्म का सहारा लेकर लोगों के बिच दंगे कराने से नहीं चूकते हैं, वही दूसरी ओर एक मुस्लिम परिवार सदियों से भाईचारे के साथ रहकर सभी धर्मों के प्रति सम्मान करने की मिसाल दे रहा है। यह मुस्लिम परिवार कई सौ सालों से मां देवी की भक्ति में लीन होकर उनकी सेवा कर रहा है और मंदिर में पुज पाठ का काम भी यहीं परिवार करता है। जो अपने धर्म को मानने के साथ-साथ पूरी श्रृद्धा भाव से मां देवी की भी भक्ति करता है।
भोपालगढ़ क्षेत्र में बागोरिया में बने एक मंदिर में करीब तेरह पीढ़ी से एक मुस्लिम परिवार मां देवी की पूजा कर रहा है। जो समाज के लोगों के लिए एक मिसाल बन सीख दे रहा है।
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बताया जाता है कि करीब 600 वर्ष पहले सिंध में महामारी और सूखा फैलने के कारण इस मुस्लिम परिवार का खानदान अपना सब कुछ और पशुओं को लेकर मध्यप्रदेश की तरफ चले आए थे। रास्ते में इनके ऊंट का पैर में चोट आ जाने से खराब हो गया। तो ये लोग रात को वहीं अराम करने लगें। तभी रात को उनके पूर्वज रहे भागे खां को स्वप्न में मां देवी ने दर्शन देकर कहा कि पास की बावड़ी से मां की मूर्ति निकली है। तुम उस मूर्ति की पूजा कर उसकी भभूत लाकर इस ऊंट को लगा दो, ठीक हो जाएगा। भागे खां ने ऐसा ही किया और मां की कृपा से वो ठीक भी हो गया, तब से लेकर आज तक उनकी पीढ़ी मां देवी की सेवा करते आ रही है।
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इस मंदिर का पुजारी एवं उसका परिवार रोजा भी रखते है और साथ में मां की उपासना भी करते हैं। नवरात्र के समय में मां के लिए नौ दिन का व्रत रखने के बाद अपने ही घर में हवन और अनुष्ठान भी कराते है।