देवी ब्रह्मचारिणी का रूप मानी जाती है यह औषधि, जानिए इसके बारे में

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हमने आपको इससे पहली पोस्ट में बताया था कि किस औषधि में मां दुर्गा का प्रथम रूप समाया है और उस औषधि के क्या लाभ हैं। आज हम आपको बता रहें हैं मां दुर्गा के दूसरे रूप और उससे संबंधित औषधि के बारे में। जी हां, आज हम नवरात्र के दूसरे दिन यानि देवी ब्रह्मचारिणी तथा उससे संबंधित औषधि के बारे में बता रहें हैं। इस संबंध में हम आपको यह बता दें कि देवी ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी देवी के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में ब्राह्मी नामक एक औषधि का भी उल्लेख मिलता हैं। इस औषधि को ही देवी ब्रह्मचारिणी का रूप माना जाता है।

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ब्राह्मी नामक यह औषधि मानव की स्मरण शक्ति को बढ़ाती है तथा रक्त के विकारों को भी खत्म करती है। इसके अलावा ब्राह्मी औषधि का पान करने वाला व्यक्ति लंबी और स्वस्थ आयु का उपभोग करता है। इस औषधि के सेवन से व्यक्ति का स्वर मधुर हो जाता है, इसलिए इसको सरस्वती भी कहा जाता है। ब्राह्मी नामक यह औषधि मानव के मस्तिष्क तथा मन से संबंधित रोगों को खत्म करती है एवं यह मूत्र संबंधी बीमारियों को भी दूर करने में सहायक होती है। यदि किसी व्यक्ति को इस प्रकार के रोग हैं, तो उसको ब्राह्मी औषधि का सेवन करना चाहिए तथा देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना नवरात्र में दूसरे दिन की जाती है।

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मां दुर्गा का यह विशेष रूप सिद्धों तथा भक्तों को अमोघ फल देने वाला है। इस रूप की उपासना से जीवन में त्याग, तप, वैराग्य तथा संतोष की वृद्धि होती है। इनकी कृपा से भक्तों को हर स्थान पर विजय तथा सिद्धि प्राप्त होती है और अनेक प्रकार की परेशानियों का खात्मा भी होता है। आपको हम बता दें कि ब्रह्मचारिणी शब्द 2 शब्दों ब्रह्म तथा चारिणी से मिलकर बना है। ब्रह्म का अर्थ होता है तप और चारिणी का मतलब होता है आचरण करने वाली। इसलिए देवी ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली देवी। देवी ब्रह्मचारिणी का रूप पूर्णतः संयासी साध्वी का ही है। इनकी उपासना से त्याग और वैराग्य जैसे गुण मानव में प्रकट होते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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