उत्तर प्रदेश में एक मदरसे ने नई शुरुआत की है, यह शुरुआत है युवाओं को आतंक के रास्ते से बचाने की। इस मदरसे ने एक नए कोर्स की शुरुआत कर इस पहल को अंजाम दिया है, मदरसे के संचालको का मानना है कि शिक्षक के सही जानकारी रखने पर ही वो दूसरो को भी सही जानकारी मुहैया करा सकता है इसलिए यह कोर्स उन युवाओं के लिए हैं जो मदरसे में “मुफ्ती” बनने की राह पर हैं, ऐसे सभी विद्यार्थीयों को मदरसे में इस कोर्स को भी स्टडी करना अनिवार्य होगा ताकि वह इस्लाम और तथाकथित आतंक के सही स्वरुप को अच्छे से समझ सके और इस्लाम के नाम पर युवाओं को बरगला कर आतंक के रास्ते पर ले जाने वाली सोच से बचा सकें। जानकारी के लिए आपको यह बताया दें कि “मुफ्ती” , इस्लाम की दिनी शिक्षा पर आधारित एक शैक्षिक डिग्री होती है, जिसको पास करने वाला व्यक्ति इस्लाम का धर्म शिक्षक माना जाता है। इस प्रकार से देखा जाए तो “मुफ्ती” की डिग्री में प्रवेश पाने वाले इन युवाओं को इस प्रकार का यह कोर्स एक नई सोच और नई जानकारियां मुहैया करायेगा और इसके बाद में इस आधार पर यही लोग अलग-अलग जगह दीनी मजलिसों और तकरीरों में इस शिक्षा को युवाओं में बांट सकेंगे जिससे देश में बहुत से लोगों की मानसिकता के भटकाव को रोकना संभव हो सकेगा।
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Anti-Terrorism कोर्स कराने वाला उत्तर प्रदेश का यह “सुन्नीयत जामिया रजविया मंजर-ए-इस्लाम” नामक मदरसा है, जो की बरेली में स्थित है और जानकारी के लिए बता दें कि यह मदरसा ” दरगाह-ए-आला हजरत”, बरेली द्वारा संचालित किया जा रहा है।
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दरगाह-ए-आला हजरत के प्रवक्ता मुफ़्ती सलीम नूरी, यहां के प्रधान संयोजक है और नूरी इस कोर्स के बारे में बताते हुए यह कहते हैं कि “इस्लाम के नाम पर दुनियाभर में हो रहे आतंकवादी हमलों को लेकर हम बेहद चिंतित हैं, ये आतंकवादी कुरान को लोगों के समक्ष गलत ढंग से पेश कर रहे हैं। हमने निर्णय लिया है कि युवाओं को इस्लाम के नाम पर कुछ भी परोसने वालों से बचाने की जरूरत है। आतंकवादी पहले से ही इस्लाम के प्रति बनी-बनाई कल्पनाओं को लेकर आते हैं और उन्हें ही सही ठहराने की कोशिश करते हैं। ये लोग, खासतौर पर मुसलमानों में गैर-मुस्लिमों के प्रति नफरत भरते हैं। यहां इन जैसे लोगों को ये बताना ज्यादा जरूरी है कि इस्लाम भाईचारे और शांति का धर्म है, ना कि हिंसा का।”