भारत में जितना क्रिकेट को पसंद किया जाता है उतना किसी अन्य खेल को पसंद नहीं किया जाता है। इस कारण इस खेल से जुड़ी सारी चीजें हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। मैदान पर मैच के दौरान हमने कई बार चौकों, छक्कों पर बाउंड्री के बाहर जाती गेंद को देखा है, पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि क्रिकेट के खेल में इस्तेमाल की जाने वाली गेंद बनती कैसे है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि दोनों टीमों के खिलाड़ियों को अपने पीछे दौड़ाने वाली गेंदें आखिर बनती कैसे हैं।
क्रिकेट की बॉल से जुड़े तथ्य-
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अतर्राष्ट्रीय मैच में प्रयोग में लाई जाने वाली बॉल का वजन 160 से 163 ग्राम का होना चाहिए। इस बॉल का साइज इंटरनेशनल स्टैंटर्ड के अनुसार 70 से 72 एमएम तक होता है। बॉल को काग से बनाया जाता है, जिसके ऊपर चमड़ा चढ़ाया जाता है। बॉल बनाने के लिए सबसे पहले चमड़े को रंग करके सुखाया जाता है।
ऐसे किया जाता है तैयार-
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जब इसकी नमी खत्म हो जाती है तब इस चमड़े से गेंद को तैयार करने के लिए इसे टुकड़ों में काटा जाता है। इसके बाद इस लेदर के चार टुकड़ों की ही हाथ से सिलाई की जाती है। जिसके बाद इसको बॉल का शेप दिया जाता है। इसमें सबसे जरूरी बॉल की बाहरी सिलाई होती है। इस सिलाई में किसी भी प्रकार की कमी होने पर बॉल को रिजेक्ट कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद बॉल को करीब 1400 पोंड तक का प्रेशर दिया जाता है। ताकि जब मैदान में प्लेयर इस बॉल का सामना बैट से करे तो बॉल के शेप में किसी प्रकार का बदलाव न आए। इसके बाद बॉल में स्टैम्प लगाकर पॉलिश की जाती है। ऐसे तैयार हो जाती है बॉल।
कितनी है क्रिकेट बॉल की कीमत-
अधिकारिक मानकों के अनुसार बनाई गई बॉल को 800 से 850 रुपए तक बेचा जाता है। मार्केट में क्रिकेट की बॉल 150 रुपए में भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है, लेकिन कम कीमत की बॉल जल्द ही खराब हो जाती है।