इस फरिशते के सामने पाकिस्तान ही नहीं पूरा विश्व होता है ‘नतमस्तक’

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जब किसी बेसहारा असाहय और भूखे प्यासे के पास कोई सहारा बनकर पहुंचे तब लोग उससे उसकी जाति या उसके बारे में नहीं पूछते बल्कि वो उसको लिये भगवान या खुदा का रूप मान उसे नतमस्तक करते है और इसी तरह का एक फरिश्ता आज पूरे देश के लिये भगवान बन चुका है। जिसे पाक आवाम के लोग ही नहीं भारत और देश विदेशों में भी इन्हे सलाम किया जात हैं। जिसके नाम से दंगे फसाद तो क्या बड़ी बड़ी फायरिंग तक रूक जाती है। उनके चारों ओर के क्षेत्र में कोई हमला करने की भी नहीं सोचता। इस फरिशते का नाम ‘अब्दुल सत्तार ईदी’ है जो पाकिस्तान में रहते है।

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अब्दुल सत्तार ईदी का जन्म भारत में गुजरात प्रांत में हुआ था पर बंटवारे में यह पाकिस्तान चले गये। देश के भले ही दो गुट हो गये हो पर आज भी लोगों के बीच उनका प्यार बना हुआ है। जिसके लिये उन्होनें काफी गरीब परिस्थिति में भी सभी गरीबों की सेवा कर एक संस्था बनाई। जिसमें वो हमेशा गरीब असाहाय लोगों की मदद करने का जिम्मा उठाते हुये दूसरों के दुख- सुख को अपना मान सेवा में जुट गये, फिर चाहे वो महामारी से जुड़ी आपदा हो या फिर किसी सूखे से भरी आपदा उनकी सेवा के लिये वो हमेशा उनसे जुड़कर उनका मुफ्त इलाज करते रहे और राहत व्यवस्था को पहुंचाते हुये लोगों की भलाई में वो हमेशा आगे रहे और इसी सेवा भाव को देखकर लोगों ने उन्हे चंदा देना शुरू कर दिया। जिसका उपयोग उन्होने अपने सुख के लिये नही बल्कि दूसरों के सुख में लगाया और जमा हुई राशि से ईदी फाउंडेशन नाम की संस्था खोली। जो आज गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स कायम कर देश विदेश तक फैल चुकी है। और 13 देशों तक फैले इस फाउंडेशन में 1800 एंबुलेस,3 एरोप्लेन,और एक हेलीकॉप्टर है। इतना सब होने के बाद भी उनका बेटा एक साइकिल की जिद किये हुये है जिसको अब्दुल सत्तार पूरा करने में असमर्थ है।

abdul-sattar-edhi2Image Source :http://theislamicmonthly.com/

आज पाकिस्तान में अब्दुल सत्तार के द्वारा बनी इस संस्था के 450 केंन्द्र कार्यरत है। जो अनाथ हुये बच्चो का एक मात्र साहारा बनी हुई है। इस संस्था में उन अनाथ हुए बच्चों की देखरेख वैसे ही की जाती है जैसे कोई माता-पिता अपने बच्चों की सेवा करते है। और इन्हे ही अपना परिवार समझ उन्ही के साथ रहता है अब्दुल सत्तार का पूरा परिवार.. आज इन्हे भगवान कहे या अल्लाह ये सबके दिलों में एक फरिश्ता बन चुके हैं। इनके इसी सेवा भाव को देखते हुए उन्हें और उनकी पत्नी को वर्ष 1996 में भारत की तरफ से गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा गया है। इसके अलावा अब्दुल सत्तार इदी को लेनिन शांति पुरूस्कार,बलजन पुरूस्कार और 16 बार नोबेल पुरूस्कार से नवाजा जा चुका है।

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