जैसा की आप देख ही रहें होंगे कि औद्योगिकीकरण अपने देश में तेजी से पैर पसार रहा है। ऐसे में जहां लोगों को रोजगार मुहैया हो रहा है वहीं उद्योगों से निकले गंदे पानी का सही उपचार करना सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। ऐसे में वर्तमान में भारत के ही एक विश्वविद्यालय के कुछ लोगों ने उद्योगों के गंदे पानी से बिजली बना कर उसके गंदे पानी के सही निस्तारण का फार्मूला पेश किया है। आइए अब आपको विस्तार से बताते हैं इस बारे में।
यह खबर आई है छत्तीगढ़ राज्य के पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से। यहां के बॉयो टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने गंदे पानी के निस्तारण का एक अनोखा फॉर्मूला निकाला है। इन लोगों ने गंदे पानी का उपयोग करके बिजली को बनाया है। गंदे पानी में कुछ इलेक्ट्रो बैक्टीरिया भी होते हैं और इन लोगों ने ऐसे ही इलेक्ट्रो बैक्टीरिया को इकट्ठा कर उनसे बिजली बना एक नई संभावना को जन्म दिया है।
इन लोगों ने उद्योग के गंदे पानी से बिजली बना कर बल्ब को जला दिया है और यह 4 वॉल्ट का बल्ब पिछले 3 महीने से जल रहा है, वहीं दूसरी तरफ 12 वॉल्ट का एलईडी 58 दिन से जल रहा है। इस बिजली का उपयोग मोबाइल चार्जिंग जैसे कार्यों में भी किया जा सकता है। इस प्रकार से यह अभी एक छोटा सा प्रयोग किया गया है, पर इसको बड़ा बना कर इसकी क्षमता बढ़ाने का कार्य भी चल रहा है।
आपको बता दें कि यह रिसर्च हालही में एक अंतरराष्ट्रीय जनरल में भी प्रकाशित हुई है। इस प्रकार से देखा जाए तो अपने देश का नाम इन लोगों ने विश्वभर में रोशन किया है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में करीब 70 हजार ऐसे इलाके हैं जहां बिजली नहीं पहुंच रही है। ऐसे में इन स्थानों पर प्रकाश पहुंचने में यह फॉर्मूला अच्छा काम कर सकता है।