मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरों के साथ-साथ गांवों में भी शौचालय बनाने की मुहिम चालू की हुई है। भारत के विकसित राज्यों में से एक गुजरात भी माना जाता है। आपका यह जान कर आश्चर्य होगा कि यहां मोबाइल करीबन सबके पास है, लेकिन शौचालय का कोई नामो-निशान नहीं है। आज के समय में भी लोग शौचालय के लिए जंगल, खेतों और सार्वजिनक जगहों के मोहताज हैं।
सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम- बेसलाइन सर्वे (एसआरएस) की रिपोर्ट के तहत भी यही साबित होता है कि लोगों के पास मोबाइल तो हैं, लेकिन घरों में शौचालय नहीं हैं। आपको बता दें कि ये सर्वे 2014 में शुरू हुआ था, जिसमें पाया गया कि 98.3 लोग मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उनमें से मात्र 69.8 लोग ही शौचालय का उपयोग करते हैं।
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बाकी देशों के स्थिति भी है खस्ता-
आपको बता दें कि सिर्फ गुजरात ही इस हालत से ग्रस्त नहीं है बल्कि और भी देश हैं जहां ऐसी स्थिति बनी हुई है। टॉयलेट के मामले में लक्षद्वीप सबसे बेहतर राज्य माना जाता है जहां लगभग 97 प्रतिशत लोगों के पास टॉयलेट है। वहीं चंडीगढ़ और दिल्ली ने दूसरे व तीसरे नंबर की उपलब्धि हासिल की है। गुजरात इस मामले में 15वें नंबर पर टिका हुआ है। वहीं बिहार और ओडिशा की हालत गुजरात से भी बदतर मानी जाती है।