दुनिया में कुछ अलग करने वाले लोगों की कमी नहीं है, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो शारीरिक अक्षमताओं के बाद भी वो कारनामा कर जाते हैं जो अच्छे-खासे स्वस्थ व्यक्ति भी नहीं कर पाते। एक ऐसी ही मिसाल कायम की है दीपा मलिक ने। दीपा को अगर हिम्मत का दूसरा नाम कहें तो गलत नहीं होगा। दीपा के शरीर का निचला भाग सुन्न है, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में वो सब हासिल कर के दिखाया है जो बाकी लोग सोच भी नहीं पाते।
दीपा के जीवन की उपलब्धियां-
अभी तक उन्होंने 54 राष्ट्रीय गोल्ड मेडल और 13 इंटरनेशनल मेडल्स जीते हैं। जेवलिन थ्रो, स्विमिंग और शॉट-पुट जैसे खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्हें पैरालंपिक खेलों में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए भारत सरकार द्वारा अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं वह तैराकी, बाइकिंग, कार रैली, चक्का फेंक, शॉट- पुट, भाला फेंक जैसे खेलों में विकलांग वर्ग में खेल कर कई बार भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
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जीवन में किया कई चुनौतियों का सामना-
दीपा मलिक का जन्म 30 सितंबर 1970 को हरियाणा के सोनीपत जिले में हुआ था। बचपन से ही दीपा का जीवन चुनौतियों के बीच गुज़रा। सिर्फ 6 साल की उम्र में उनके शरीर को लकवा मार गया। उनके कमर के नीचे का पूरा हिस्सा पैरेलाइज्ड है। इस बीमारी की शुरूआत में पहले उनकी टांगों में कमजोरी की शिकायत आई थी। बाद में पता चला कि उनके स्पाइनल कॉर्ड में ट्यूमर है। इसके बाद उनका ऑपरेशन हुआ, लेकिन 1999 में दोबारा परेशानी महसूस होने के बाद उनका दूसरा ऑपरेशन हुआ। इसके बाद भी समस्या हल ना होने पर उनकी तीसरी सर्जरी हुई और उनकी स्पाइनल कॉर्ड डैमेज हो गई। अब उन्हें बाकी की ज़िन्दगी व्हील चेयर के सहारे जीनी थी।
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चार बार लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है नाम-
खेलों में अपनी उपलब्धियों की वजह से दीपा का नाम अब तक चार बार लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में आ चुका है। पहली बार उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में तब आया था जब उन्होंने यमुना नदी के बहाव की उल्टी दिशा में एक किलोमीटर की दूरी तय की थी। इसके अलावा दूसरी बार 58 किलोमीटर तक स्पेशल तरीके से बाइक राइडिंग करने, तीसरी बार पैन इंडिया ड्राइविंग की लम्बी (3278 किमी) यात्रा के लिए और चौथी बार उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया की सबसे ऊंची रोड (लद्दाख में स्थित) पर ड्राइविंग करके पहुंचने से आया था।
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अपने साहस और गज़ब की इच्छा शक्ति की बदौलत दीपा ने वो कर दिखाया जिसके बारे में आम लोग सोच भी नहीं सकते। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि अगर इरादे बुलंद हों तो शारीरिक अक्षमता भी कोई मायने नहीं रखती।