हमारा देश हो या कोई और दूसरे देश, अंधविश्वासों से जुड़ी घटनाएं हर जगह ही देखने और सुनने को मिल जाती है। ऐसा ही उदाहरण बनकर आई एक घटना, जिसके बारे में कल्पना करना भी मुश्किल होता है। ये कहानी थी जर्मनी की एक लड़की ‘एनेलीज मिशेल’ की है। जिसके ऊपर सन् 2005 में एक हॉरर मूवी ‘द एक्सॉर्सिज्म ऑफ एमिली रोज’ बनी गई थी। यह फिल्म इसी जर्मन लड़की की सच्ची घटना पर आधारित थी, जिसकी मौत बुरी आत्माओं के चंगुल में फंसने से 50 और 60 के दशक में हो गई थी।
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सुनाई देती थी डरावनी आवाजें…
1952 में जर्मनी में जन्मी एनेलीज बचपन में लोगों की तरह ही एक सामान्य जिंदगी जी रही थी, लेकिन 16 साल की उम्र में उसे अचानक मिर्गी का दौरा पड़ा। जिसके बाद से उसे कुछ अजीब सी डरावनी आवाजें सुनाई देने लगीं। इसके बाद से ही उसकी हरकतों में लगातार परिवर्तन आना शुरू हो गए। अजीबो-गरीब हरकतों के साथ वो कीड़े-मकोड़ों को मारकर खाने लगी, एक दिन तो तब हद हो गई जब उसने जिंदा चिड़िया के सिर को काटकर खा लिया। कभी-कभी तो वो अपना यूरिन ही पी जाती थी।
कई बार उसकी हरकतें एक कुत्ते के समान हो जाती थी और उसी के समान बनकर टेबल के नीचे घुसकर भौंकना चालू कर देती थी। इनकी इस अजीब हरकतों को देख इनका 1975 तक डॉक्टरी इलाज कराया गया। जब कोई परिणाम नहीं निकला तो पादरियों को बुलाकर उन्हें दिखाया गया। तब उन्होंने एनलीज पर छह आत्माओं के होने के बारे में बताया। उन्हीं में से एक हिटलर का भूत भी शामिल था। 10 महीनों तक एनेलीज को ठीक करने के लिए जादू-टोने की प्रक्रिया चालू रही और इसी के साथ उसके शरीर का स्तर लगातार बिगड़ने लगा। वह शरीर में पानी की कमी और कुपोषण की शिकार बन गई और एक जुलाई 1976 को एनेलीज को सभी आत्माओं ने अपने आगोश में लेकर हमेशा के लिए सुला दिया। जिस समय एनेलीज की मौत हुई थी, उस समय उसे तेज बुखार होने के साथ निमोनिया भी हो गया था। इस मौत के लिए परिवार वालों की लापरवाही के साथ ही पादरियों को भी लापरवाही का दोषी ठहराते हुए 6 माह की सजा सुनाई गई। एनेलीज के ऊपर बनी मूवी ने 2005 में बॉक्स ऑफिस पर 800 करोड़ रुपए का बिजनेस किया था।