नवदुर्गा का 5वां रूप है इस दिव्य औषधि से संबंधित, जानिए इसके गुण तथा प्रभावों के बारे में

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मां दुर्गा के 9 रूपों में प्रत्येक रूप किसी न किसी विशेष औषधि से भी जुड़ा है। इसी क्रम में हम आपको पिछले 4 रूपों तथा उनसे संबंधित औषधियों के बारे में बता चुके हैं। आज हम आपको नवदुर्गा के 5वें रूप के बारे में बता रहें हैं। मार्कण्डेय पुराण में मां दुर्गा के इन 9 रूपों तथा इनसे संबंधित औषधियों के बारे में बताया गया है। आज हम आपको जानकारी देने के लिए यहां इन सभी चीजों को बता रहें हैं। आपको हम बता दें कि नवदुर्गा के 5वें रूप को “स्कन्दमाता” कहा जाता है। इन्हीं को देवी पार्वती या उमा भी कहा जाता है। नवदुर्गा के 5वें रूप यानि स्कंदमाता से जो औषधि संबंधित है उसको “अलसी” कहा जाता है। अलसी का आयुर्वेद में बहुत महत्त्व बताया गया है। अलसी को बहुत से रोगों को दूर करने की औषधि के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। असली नामक इस औषधि के बारे में कहा गया है कि वात, कफ तथा पित्त नाशक है। हम आपको बता दें कि आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर में कोई भी रोग वात, कफ तथा पित्त की असमानता से ही आता है। असली का यह गुण है कि वह इस असमानता को दूर कर देती है जिसके कारण इसको प्रयोग करने वाला व्यक्ति सभी रोगों के जंजाल से छूट जाता है और स्वस्थ जीवन जीता है। वात, कफ तथा पित्त से संबंधित किसी भी प्रकार के रोगी को असली का प्रयोग औषधि के रूप में करना चाहिए तथा स्कन्दमाता की उपासना करनी चाहिए।

नवदुर्गाImage Source:

नवदुर्गा का 5 वां रूप स्कन्दमाता का है। आपको हम यह भी बता दें कि कार्तिकेय देवता को “स्कन्द देवता” के नाम से जाना जाता है। इनकी माता को ही स्कन्दमाता कहा जाता है। स्कन्दमाता का वाहन सिंह है। ये चार भुजाधारी है। इन्होंने अपने एक हाथ में अपने पुत्र स्कन्द यानि कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है। स्कंदमाता का मंत्र है –

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

इस मन्त्र के द्वारा इनकी स्तुति की जाती हैं। आपको हम बता दें कि स्कंद देवता को देवताओं की सेना का सेनापति भी माना जाता है। स्कंदमाता को ममता तथा स्नेह की देवी माना जाता है। इनको अपने नाम के साथ में अपने पुत्र का नाम जोड़ना बहुत अच्छा लगता है। स्कंदमाता की उपासना करने वाले साधक की बुद्धि का विकास होता है तथा उसको परमधाम की प्राप्ति होती है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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