वन्दे मातरम् हमारे राष्ट्र के गौरव का प्रतीक हैं पर इसके गाने पर एक मुस्लिम परिवार को समाज से निकाले जाने पर अब बड़ा विवाद खड़ा हो चुका हैं। आपको बता दें कि यह मुस्लिम परिवार आगरा का हैं। इस समय इस परिवार के लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि राष्ट्र गीत किसी के लिए आखिर कैसे परेशानी का सबब बन सकता हैं।
मुस्लिम समाज से बहिष्कृत इस परिवार के “गुल्चनमैन शेरवानी” बताते हैं कि “उनको बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के गीत काफी पसंद हैं और वे कभी कभी उनको गुनगुनाया भी करते हैं। इसी क्रम में वे अपने देश के राष्ट्र गीत को भी गुनगुनाते हैं। मुस्लिम समाज के लोगों का कहना हैं कि मैं ये गीत गाना छोड़ दूं। इसी वजह से उन लोगों ने मेरे बच्चों को स्कूल से निकाल दिया हैं।”
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स्कूल के लोग इस बात पर अपनी और से सफाई देते हुए कहते हैं कि गुल्चनमैन शेरवानी और उसके परिवार ने तिरंगे कपड़े पहने थे। जिसका कई बच्चों के पेरेंट्स ने विरोध भी किया था। इसके बाद हम लोगों को उनकी बच्ची पर कार्यवाही करनी पड़ी।” शेरवानी वर्तमान में आगरा के आज़मपारा ज़िले के निवासी हैं। वे बताते हैं कि दिल्ली के ईमाम बुखारी ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया हुआ हैं।
जिसमें उनको “काफिर” करार दिया हुआ हैं। इतना होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्र गीत को गाना नहीं छोड़ा हैं। वे आगे बताते हैं कि वे उस समय महज 9 वर्ष के थे जब उनके परिवार ने मात्र राष्ट्र गीत को गाने के चलते उनका साथ छोड़ दिया था। इस बारे में शेरवानी की मां का कहना है कि “वह अपने व्यक्तिगत कारणों के कारण ही घर से चला गया था। वास्तव में हम लोगों ने उसको नहीं छोड़ा था।”
सुन्नी बोर्ड ने जारी किया फतवा
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आपको हम बता दें कि “सुन्नी उलेमा बोर्ड” के अध्यक्ष मौलाना सैयद शाह बदरुद्दीन कादरी ने 2006 में गुल्चनमैन शेरवानी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया था। यह फतवा भी कादरी ने इसलिए जारी किया था क्योंकि गुल्चनमैन शेरवानी ने स्कूलों में जाकर वन्दे मातरम् गाया था। इसके बदले गुल्चनमैन शेरवानी ने भारत माता की प्रतिमा के नीचे आगरा के सिविल कोर्ट के सामने धरना दिया था।
गुल्चनमैन शेरवानी का कहना है कि उनके दोनों बच्चे भी 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही पैदा हुए थे और उन्होंने अपनी शादी में वन्दे मातरम् का गीत ही बजवाया था। इससे गुल्चनमैन शेरवानी का देश प्रेम जाहिर होता है। आगरा शहर के ही मुफ़्ती अब्दुल खुवैद कहते हैं कि “मुझे इस मामले की जानकारी नहीं हैं पर इस्लाम में अल्लाह के सिवा किसी और का गीत गाना धर्म के विरुद्ध हैं।