सन्यास की प्रथा तो भारत में प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। भारतीय इतिहास से बहुत से बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं ने अपना सबकुछ त्याग सन्यास को ग्रहण किया है। आज हम आपको एक ऐसी ही घटना के बारे में बता रहें हैं जिसने इस पुरातन परंपरा की याद को फिर से ताजा कर दिया है। आपको बता दें कि यह घटना हाल ही में घटित हुई है और इस घटना ने सभी को चौंका दिया है।
जैसा की आप जानते ही है कि वर्तमान समय में आम आदमी पैसे के लिए दिन रात दौड़ता रहता है। वह हर दम इसी कोशिश में लगा रहता है कि किसी तरीके वह ज्यादा से ज्यादा पैसा कमा लें। वहीं दूसरी ओर जरा इन मोहतरमा के बारे में सुने, जिन्होंने अपनी 100 करोड़ की संपत्ति को कर छोड़ कर सन्यासी जीवन को चुन लिया है। इस महिला के बारे में जानकर हर कोई दंग है।
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यह मामला मध्य प्रदेश के नीमच शहर का है। जहाँ 34 वर्षीय अनामिका नामक महिला अपनी 100 करोड़ की संपत्ति को छोड़ कर सन्यासी बन गई है। अनामिका के पति सुमित राठौर उनसे पहले ही सन्यास की दीक्षा ले चुके है। आपको बता दें कि अनामिका एक इंजिनियर हैं तथा उनके पति एक करोड़पति कारोबारी। दोनों की शादी को महज 4 ही वर्ष हुए हैं और दोनों की एक 3 साल की बेटी भी है। वर्तमान समय की बात करें तो दोनों ने अब सांसारिक सुखों को त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिया है।
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दरअसल जब इन लोगों ने सन्यास लेने की बात कही थी तो सभी लोगों ने इनका विरोध किया। सभी ने कहा कि वे एक 3 वर्ष की बच्ची को अकेला छोड़ कर कैसे सन्यास ले सकते हैं। इसका हल निकलते हुए अनामिका ने अपनीं बच्ची को अपने जेठ को क़ानूनी ढंग से सौंप दिया।
अनामिका के पति सुमित ने उससे पहले सन्यास ग्रहण किया था अपने पति की ही भांति अब आख़िरकार अनामिका ने भी सांसारिक मोह माया को छोड़ कर सन्यास को अपना लिया है। अनामिका ने गुजरात के सूरत शहर में ” जैन भागवती दीक्षा” लेकर सन्यास ग्रहण किया और श्रमण का वेश धारण किया। सफ़ेद वस्त्र धारण, केश मुंडन तथा सामयिक वाचन के साथ अनामिका की सन्यास दीक्षा पूरी हुई है। अब सन्यास के बाद में अनामिका “साध्वी श्रीजी ” के नाम से जानी जाएंगी।
आपको बता दें कि सुमित तथा अनामिका की बच्ची जब 8 माह की थी तभी इन दोनों ने सन्यास लेने का मन बना लिया था और ये उस समय से ही सन्यास की तैयारी कर रहें थे।