देश की सुरक्षा में तैनात होने वाले जवानों को आज भी कई दुर्गम स्थानों पर निगरानी करनी पड़ती हैं। देश के इन दुर्गम स्थानों जहां एक पल के लिए भी ठहर पाना मुश्किल होता है। वहीं इन स्थानों में देश के जवान हर वक्त चौकस निगाहों से तैनात रहते हैं। सियाचिन में हड्डियों तक को गला देने वाली ठंड में किसी का भी बच पाना मुश्किल होता है। लेकिन छह दिन बाद भी एलवांच से बचाए गए हनुमनथप्पा का इलाज चल रहा है। माना जाता हैं कि सियाचिन के जवानों की रक्षा ओपी बाबा करते हैं। यह किसी देवदूत से कम नहीं हैं। सियाचिन में तैनात होने वाले सैनिक अपने मोर्चे पर जाने से पहले ओपी बाबा का आर्शिवाद लेना नहीं भूलते।
भारत के सबसे ठंडा इलाका सियाचिन है। इस इलाके में चारों ओर बर्फ की चादर बारह महिने ही फैली रहती है। इन इलाकों का तापमान शून्य से भी कम रहता हैं। साथ ही यहां की बर्फ में तैनात सैनिकों के पैर हर वक्त एक से दो फुट की गहराई में ही रहते हैं। इस मुश्किल हालातों में भी यह सैनिक देश की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। इस मुश्किल हालातों में एक बार खुदा भी सैनिक की ओर ध्यान न दें पर ओपी बाबा इन जवानों की सुरक्षा के लिए हमेशा ही तैयार रहते है।
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आज हम आपको इन ओपी बाबा के बारे में ही बता रहें जो कोई पीर, फकीर या खुदा के बंदे न होकर भी सैनिको की हर पल रक्षा करते हैं। ओपी बाबा पहले सियाचिन में ही सैनिक के रूप में तैनात थे। इनका पूरा नाम ओम प्रकाश हैं। वर्ष 1980 के दौरान ओम प्रकाश ने अकेले मालौन चौकी पर होने वाले दुश्मन के हमलों को नाकाम कर दिया था। इन्ही ओपी बाबा का मंदिर सियाचिन के इंडियन बेस के नजदीक ही बनाया गया है। माना जाता हैं कि ओपी बाबा सियाचिन में तैनात जवानों की रक्षा करतें हैं, साथ ही यदि कोई सैनिक रास्ता भूल जाता है तो उसे ओपी बाबा रास्ता दिखाते है। इसी कारण सियाचिन में तैनाती से पूर्व हर सैनिक ओपी बाबा के मंदिर में अपना माथा टेकने के बाद ही मोर्चे पर जाता है।