65 साल के इस व्यक्ति ने किया ऐसा काम की युवाओ को आयेगी शर्म

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आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं जिनके बारे सोच कर आप हैरान रह जाएंगे की यह व्यक्ति इतनी उम्र में यह काम कैसे कर सकेगा लेकिन यह इस व्यक्ति का हौसला ही है क्युकी जिस उम्र में आमतौर पर लोग दुनिया के सभी कार्य निपटा कर आराम करने का विचार करते हैं, उम्र के उस पड़ाव पर यह व्यक्ति निकला है विश्व यात्रा पर और सबसे चकित करने वाली बात यह है की यह व्यक्ति अपनी इस विश्व यात्रा को दौड़ कर ही पूरी करना चाहता है। आइये जानते हैं इस व्यक्ति के बारे में।

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दौड़ कर अपनी विश्व यात्रा पूरी करने की चाहत रखने वाले इस व्यक्ति का नाम “अमनाज प्रोम्पिनम” है और इनकी वर्तमान उम्र 65 है। अमनाज, थाईलैंड के रहने वाले हैं। अमनाज प्रोम्पिनम ने वियतनाम की राजधानी की सबसे ऊंची बिल्डिंग की चढ़ाई की और इस 72 मंजिल की ईमारत की 1,914 सीढ़ियां चढ़ने के बाद उन्होंने अपने विचार प्रगट करते हुए कहा की “मुझे दौड़ना बेहद पसंद है, क्योंकि इससे मैं स्वस्थ रहता हूं।” आप सबको जानकारी के लिए यह बता दें की हनोई वर्टिकल रन 2016 में दुनिया के अलग अलग हिस्से से आये 200 धावकों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से कुछ पेशेवर थे और कुछ गैर पेशेवर। इस दौड़ में अमनाज ने भी हिस्सा लिया था और उन्होंने इस दौरान कहा “दौड़ना पिछले 20 वर्षों से मेरी दिनचर्या का हिस्सा है, मैं मैराथन और वर्टिकल रन में हिस्सा ले चुका हूं.” हालांकि, उनका कहना है कि उन्हें वर्टिकल रन अधिक पसंद है, क्योंकि यह एक तरह की चुनौती होती है।” अमनाज ने आगे कहा की “मैं म्यांमार, इंडोनेशिया, लाओस, वियतनाम, चीन के ताइवान, चीन के ही हांगकांग, इटली, कनाडा, अमेरिका और अनेक अन्य देशों में दौड़ में हिस्सा ले चुका हूं।”वर्टिकल रेस’ में सीढ़ियों पर चढ़ने की चुनौती को सामने रखा जाता है, यह खेल 1970 के दशक से शुरू हुआ था और वर्तमान में यह खेल वैश्विक स्तर पर काफी लोकप्रिय भी बन चुका है।

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अमनाज का कहना है की वे पहले शराब और सिगरेट का काफी प्रयोग करते थे परंतु जब से उन्होंने दौडना शुरू किया है, तब से ये सारी चीजें छूटती चली गई। अमनाज अभी तक इस प्रकार की विभिन्न प्रतियोगिताओं में 500 ट्राफी जीत चुके हैं। अमनाज इस प्रकार की प्रतियोगिताओं के बारे में अपनी हिस्सेदारी को लेकर कहते हैं की “मुझे दौड़ में हिस्सा लेने से कोई भी चीज नहीं रोक सकती, मैं विभिन्न देशों में दौड़ना जारी रखूंगा, जब तक कि मैं चलने में भी असमर्थ न हो जाऊं, इस तरह मैं दुनिया के विभिन्न देशों की सैर कर सकता हूं और पूरी दुनिया में दोस्त बना सकता हूं।”

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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