अपने मृत साथी की राख को पी जाते हैं ये लोग, खुद को बतलाते हैं अमर प्राणी

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दुनिया में बहुत से कुछ लोगों की मान्यताएं एवं उनका विश्वास कुछ इस तरह का होता हैं जिस पर सहज विश्वास नहीं हो पाता हैं। आज हम आपको जिस समुदाय से मिलवा रहें हैं, वह भी कुछ इस प्रकार की ही मान्यताएं और विश्वास रखता हैं। जिन्हें जान कर आप हैरान रह जायेंगे। इस समुदाय का नाम ” यानोमामी समुदाय” हैं। यह एक आदिवासी समुदाय हैं और यह अमेज़न के जंगलों में निवास करता हैं। दुनिया में कई समुदाय ऐसे हैं जिनके रहने के तरीकों और धारनाओं को आज तक कोई नहीं समझ सका हैं। यह यानोमामी समुदाय भी कुछ ऐसा ही हैं। जहां मृत लोगों के साथ अलग ही तरह का व्यवहार किया जाता हैं। यह समुदाय दुनिया से बिल्कुल कट कर रहता हैं।

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इस समुदाय के रहने का तरीका भी बहुत अजीब हैं। इस समुदाय के सभी लोग एक ही छत के नीचे रहते हैं। इसके लिए एक विशाल घर बनाया जाता हैं। इस घर के चारों और कमरे बने होते हैं तथा बीच में बड़ा आंगन होता हैं। इस व्यवस्था को “शबोनो” कहा जाता हैं। इस कबीले के लोग अपने मृत व्यक्ति की राख को सूप बना कर पी जाते हैं।

दरअसल इनकी मौत के बारे में अलग ही मान्यता हैं। ये लोग खुद को अमर प्राणी मानते हैं। इन लोगों का मानना हैं कि ये लोग कभी भी प्राकृतिक रूप से नहीं मरते, बल्कि इनकी मौत उस समय होती हैं जब कोई व्यक्ति किसी शैतान को भेजकर इनकी हत्या कराता हैं।

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कबीले यदि कोई का व्यक्ति मर जाता हैं तो ये उसकी लाश को पत्तियों से ढक देते हैं और कुछ दिन बाद जब मृत व्यक्ति की हड्डियां रह जाती हैं तो ये उन हड्डियों को जलाकर उसके चूरे को इकठ्ठा कर उसको सूप में डालकर सभी को पिलाते हैं। असल में इस बारे में इनका मानना हैं कि जब तक मृत व्यक्ति का शरीर पूरी तरह मिटटी में नहीं मिल जाता तब तक उसकी आत्मा भटकती रहती हैं। इसी कारण शरीर की बची हड्डियों को जलाकर ये लोग उसके चूरे को सूप में मिलाकर पी जाते हैं।

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