सचिन के पास एक बार ‘कैब’ के लिए भी नहीं थे पैसे…

0
385

क्रिकेट का भगवान, यह बात सुनते ही लोगों के दिमाग में सिर्फ एक ही तस्वीर उभरती है मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की। आज के वक्त में सचिन अभी तक के सबसे अमीर खिलाड़ियों में गिने जाते हैं, लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि सचिन जैसी शख्सियत ने ज़मीन से आसमां तक के इस सफर को कैसे पार किया है। हम में से शायद कोई उम्मीद भी ना कर सके, लेकिन आप यह तो जरूर सोच सकते हैं कि जिस इंसान को क्रिकेट के गॉड की उपाधि दे दी गई उसके बारे में कुछ कहने और मतलब निकालने आदि की वजह ही नहीं रह जाती है। आप में से बहुत से लोग ये समझते होंगे कि ये सब सचिन को क्रिकेट के बूते हासिल हुआ है, लेकिन अगर ये सब सचिन को क्रिकेट से ही हासिल होता तो ब्रैडमेन से लेकर ब्रायन लारा तक किसी और को अभी तक क्रिकेट के गॉड की उपाधि क्यों नहीं दी गई।

sachin-tendulkarImage Source :http://entertainment.jagranjunction.com/

आपने भी कई बार सुना होगा कि हर महान क्रिकेटर सचिन के बारे में ये कहता आया है कि सचिन के लिए क्रिकेट ही सब कुछ है, लेकिन इस क्रिकेट के पीछे सचिन की दिवानगी और मजबूरी को शायद ही हम में से किसी ने समझने की कोशिश की हो। आपको बता दें कि आज बेशक सचिन आसमां की बुलंदियों को छू रहे हों, लेकिन फिर भी जब कभी सचिन अपने पुराने वक्त के बारे में सोचते हैं तो उन्हें अपनी मजबूरियां, परेशानियां और दुख याद आ जाता है। इस बात का खुलासा खुद सचिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। सचिन को अपने पुराने दिनों की याद आई और उन्होंने बताया कि ‘उनकी जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया था जब उनके पास घर तक पहुंचने के लिए कैब लेने तक के पैसे नहीं थे और उन्हें रेलवे स्टेशन से अपने घर तक भारी भरकम बैगों को लेकर पैदल आना पड़ा था। यह वो टाइम था जब वह अंडर-15 खेलकर पुणे से मुंबई लौट रहे थे।’

Sachin-Tendulkar-paji_5708bcb0a1d7aImage Source :http://www.newstracklive.com/

उस समय सचिन की उम्र महज 12 साल की थी और सचिन का चयन मुंबई की अंडर-15 टीम के लिए हुआ था। उन्होंने बताया कि ‘इसके लिए मैं बहुत ज्यादा उत्साहित था। इसमें जाने के लिए मैंने अपने परिवार से कुछ रुपये भी लिए थे। जिसके बाद हम पुणे चले गए। वहां पर पहले के 3 मैचों में काफी बारिश भी होने लगी थी। डीबीएस की पहल पर यह मैच कराये गये थे, लेकिन जब मुझे बैटिंग का मौका मिला तो मैं चार रन बनाकर रन आउट हो गया। उस दिन मैं अपने ड्रेसिंग रूम में आकर बहुत ज्यादा रोया था, मैं बहुत निराश था, क्योंकि मुझे दुबारा बैटिंग का मौका नहीं मिला। चूंकि बारिश हो रही थी इसलिए मैच नहीं हुआ। अब हमारे पास पूरे दिन करने के लिए कुछ नहीं था। सो पूरे दिन हम घूमे, मूवी देखी और खाया। मैं नहीं जानता था कि पैसे को कैसे खर्च करना पड़ता है सो मैंने अपने पूरे पैसे खर्च कर दिये थे, लेकिन जब हम वापस लौटे तो मेरे पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी। मैं दो बड़े बैग लेकर गया था, लेकिन पैसे नहीं होने के कारण दादर स्टेशन से शिवाजी पार्क मैं चलकर आया, क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे।’

26_04_2016-sachintaxi2Image Source :http://images.jagran.com/

इस दौरान उन्होंने बताया कि ‘आज के समय में तकनीक काफी ज्यादा विकसित हो गई है, लेकिन उस समय ऐसा नही था। वरना अगर मेरे पास सेलफोन होता तो मैं एक मैसेज कर अपने माता-पिता से पैसे मंगा सकता था।’ उन्होंने कहा कि ‘यह तकनीक की खूबी है। तकनीक के सहारे ही थर्ड अंपायर ने उन्हें आउट करार दिया था और थर्ड अंपायर के जरिये आउट करार दिये जाने वाले वे विश्व के पहले खिलाड़ी भी हैं।’ उनका कहना है की ‘ये तकनीक जितनी अच्छी है कभी-कभी यह तकनीक आपको नुकसान भी पहुंचा देती है क्योंकि मुझे थर्ड अंपायर ने 1992 में रन आउट करार दिया था।’

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here