देश में फिल्म की मानकता को तय करने के लिए सेंसर बोर्ड का निर्माण किया गया। कुछ फिल्में ऐसी हैं जिनको सेंसर बोर्ड द्वारा समाज में गलत प्रभाव डालने वाली बताकर बैन कर दिया गया। भारतीय फिल्मों से आपत्तिजनक दृश्यों पर कैंची चलाने वाले सेंसर बोर्ड को विश्वभर में जाना जाता है।
दरअसल समाज की शांति और व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव डालने वाली फिल्मों के दृश्यों और फिल्मों को प्रदर्शित न होने देने के लिए ही इस प्रमाणन संस्था का गठन किया गया। जानते हैं ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में जो सेंसर बोर्ड की कसौटियों पर खरी नहीं उतर पाई और सिनेमा घर तक नहीं पहुंच सकीं।
1, मस्तीजादे 2015-
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इस फिल्म की थीम सेक्स और कॉमेडी का मिश्रण थी। इस कारण भी इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने थिएटरों तक नहीं आने दिया। फिल्म अभिनेत्री सनी लियोनी मुख्य किरदार में थी। सीएफबीसी ने इस फिल्म को भारतीय दर्शकों के लिए कामोत्तेजक करार देते हुए जून 2015 में बैन कर दिया था, जिसके बाद कई दृश्यों की कांट छांट कर उसे रिलीज किया गया था।
2, कामसूत्र 1996-
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16वीं शताब्दी पर आधारित मीरा नायर की यह फिल्म प्रेम पर आधारित थी। जानकारों के मुताबिक विश्व में इस फिल्म के निर्देशक और कलाकारों के काम को खूब सराहा गया था, लेकिन अधिक उत्तेजक दृश्यों व अनैतिक संबंधों के कारण फिल्म को दर्शकों के लिए प्रदर्शित नहीं किया गया।
3, क्या कूल हैं हम 2015-
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लोग इस फिल्म के प्रीक्वल को पहले ही देख चुके हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके नए पार्ट में क्या कुछ देखने को मिल सकता है। वहीं, तीसरे पार्ट में नया मसाला प्रदान करने के लिए निर्देशक पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस फिल्म में असभ्यता और अश्लीलता की सभी हदें पार कर दी गई। जिसमें कई दृश्यों को काटने के लिए कहा गया है और फिल्म को बैन किया गया है।
4, फायर 1996-
इस फिल्म को विदेशों में बहुत पसंद किया गया। अभिनेत्री तब्बू ने इस फिल्म में महिलाओं के बीच के अनैतिक संबंधों को प्रदर्शित किया है। इसी कारण इस फिल्म को भारत में रिलीज नहीं किया गया।
5, ब्लैक फ्राइडे 2007-
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यह फिल्म ब्लैक फ्राइडे किताब पर आधारित थी। यह फिल्म मुम्बई 1993 वर्ष में हुए सीरियल बम धमाकों की पटकथा पर बनाई गई थी। संवेदनशील विषय और न्यायालय में विचाराधीन मामला होने के कारण फिल्म को न्यायालय का फैसला आने तक रोक लगाई गई थी।
6, सिंस 2005-
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इस फिल्म में जीवन के खराब पहलू को दर्शाया गया था। इसमें केरल के एक धर्माध्यक्ष के द्वारा महिला के साथ बनाए गए शारीरिक संबंधों की कहानी को दिखाया गया। वासना की लालसा और अन्य दृश्यों के कारण व कैथोलिक समुदाय के विरोध के कारण इसको बैन कर दिया गया।