कश्मीर के गांदरबल जिले में स्थित तुलमुला गांव के पास माता खीर भवानी का मंदिर है जो हजारों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर में बना कुंड लोगों को आने वाली विपदाओं से अवगत कराता है। जब भी हमारे देश में कोई गहरा संकट आने वाला होता है तो इस मंदिर पर बने कुंड के पानी का रंग बदलकर काला होने लगता है। यह मंदिर सांप्रदायिक एकता कि अनूठी पहचान बना हुआ है क्योंकि यहां हर धर्म जाति के लोग आकर पूजा कर प्रसाद ग्रहण करते है।
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माता खीर भवानी के इस मंदिर में लोग उन्हें खुश करने के लिए दूध और खीर का प्रसाद चढ़ाते है। इसके साथ वहां पर मौजूद पवित्र झरने में दूध एवं खीर को अर्पित करते हैं। ऐसा मानना है कि मंदिर के नीचे बहने वाले पवित्र झरने का रंग घाटी में होने वाली हर स्थिति का संकेत देता है। कश्मीर में आने वाली कई विपदाओं से पहले इस कुंड का पानी अपना रंग बदलने लगता है। जैसे ही इस पानी का रंग काला होतो है। कश्मीर के लोग को आने वाली विपदाओं के बारे में पहले से ही पता चल जाता है, जिससे कि वे सचेत हो जाते है। इस चमत्कारिक मंदिर के दर्शन करने के लिए अब देश विदेश के लोग भी आने लगे है। इसके साथ ही बॉलिवुड की बड़ी-बड़ी हस्तियां यहां के होने वाले चमत्कार से आकर्षित होकर यहां आती है।
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हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी राग्नया का धरती लोक पर आगमन रावण की घोर तपस्या के कारण हुआ था। तब वो रावण के सामने प्रकट होकर उसे दर्शन देने के लिए आयी थी, तब से रावण ने उनकी एक प्रतिमा को बनाकर श्रीलंका में स्थापित किया था, लेकिन रावण के द्वारा किए जाने वाले गलत कामों से नराज होकर उन्होनें हनुमान को यहां से उन्हें कश्मीर ले जाने का आदेश दिया था। तब माता ने शिला का रूप धारण किया और हनुमान जी के साथ कश्मीर चली गई।
यहां पर आकर देवी राग्नया ने एक कश्मीरी पंडित को नाग के रूप में दर्शन दिए और वे उसें उस स्थान पर ले गई जहां पर हनुमान ने उनकी प्रतिमा को विराजमान किया था। इसके बाद उस पंडित ने उस स्थान पर एक छोटा सा मंदिर बनाकर मां की प्रतिमा को उसमें स्थापित कर दिया, आगे चलकर सन् 1912 में राजा प्रताप सिंह के हाथो इस मंदिर का पुर्ननिर्माण कराया गया।