अटलांटिक महासागर, जिसकी गहराइयों में छिपे हैं कई गहरे राज जिसके बारे में वैज्ञानिक भी सालों से पता नहीं लगा पाए हैं। यह बात अबूझ पहेली बनी हुई है कि इस महासागर की गहराइयों में आखिर कौन छिपा बैठा है जो अमेरिका के दक्षिण पूर्वी तट पर बने बरमूडा ट्राएंगल पर आए जहाजों को निगल जाता है। अमेरिका के फ्लोरिडा, प्यूर्टोरिको और बरमूडा तीनों को जोड़ने वाला एक ट्रायंगल होने के कारण इसका नाम बरमूडा ट्राएंगल यानी त्रिकोण पड़ा है। रहस्यों से भरे इस समुद्री तट पर बड़े से बड़ा समुद्री और हवाई जहाज गायब हो जाता है।
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बरमूडा त्रिकोण को यदि मौत के त्रिकोण की संज्ञा दी जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि पानी वाला जहाज हो या आसमान को छूने वाला विमान इस स्थान पर पहुंचते ही इसके आगोश में आ जाता है। 5 सितम्बर 1945 में हुई एक दुर्घटना ने सभी को उस समय हैरान और परेशान कर दिया जब उस त्रिकोण एरिया में पहुंचते ही पांच तारपीडो यान नष्ट हो गये थे। उन उड़ानों का नेतृत्व कर रहे चालक ने दुर्घटना होने के पहले अपना संदेश देते हुए कहा था- ‘हम नहीं जानते कि पश्चिम किस दिशा में है। सब कुछ गलत हो गया है। हमें कोई भी दिशा समझ में नहीं आ रही है। हमें अपने अड्डे से 225 मील उत्तर पूर्व में होना चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि…. और उसके बाद आवाज आनी बंद हो गयी। उन यानों का पता लगाने के लिए तुरंत ही मैरिनर फ्लाइंग बोट )Mariner Flying Boat) भेजी गयी थी जिसमें 13 लाग सवार थे, लेकिन वह बोट भी कहां गयी इसका पता नहीं चला।
बताया जाता है कि मैरी सेलेस्टी नाम का एक व्यापारिक जहाज जो अपने रास्ते से गुजरते हुए बरमूडा ट्राएंगल क्षेत्र में पहुंचा और वहां से लापता हो गया। काफी खोज खबर करने के बाद यह जहाज 4 दिसम्बर 1872 को अटलांटिक महासागर में यह पाया गया। काफी खोज के बावजूद उसमें सवार यात्री व कर्मचारियों का कोई पता ना चल सका। जहाज पर कीमती सामानों के सुरक्षित होने से डाकुओं द्वारा जहाज को लूट लिये जाने की बात भी साबित नहीं हो सकी।
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इसी तरह की घटना 1881 में भी घटित हुई। एलिन ऑस्टिन नाम का एक जहाज कुशल चालकों के साथ न्यूयार्क के लिए रवाना हुआ। बरमूडा ट्राएंगल के पास पहुंचते ही यह अचानक ही गायब हो गया। काफी खोजने के बाद इसका कोई सुराग तक हाथ नहीं आया। ना ही जहाज पर सवार किसी व्यक्ति का कुछ पता चला।
धीरे-धीरे इस तरह से ना जाने कितने जहाज को निगल चुका है अमेरिका का बरमूडा ट्राएंगल। अमेरिका के इतिहास में इस तरह से अचानक जहाजों का लापता होना एक बड़ा रहस्य बन चुका है।
इसी तरह से सबसे खौफनाक हादसा उस समय को देखने को मिला जब लेफ्टिनेंट कमांडर जी डब्ल्यू वर्ली 309 क्रू सदस्यों के साथ यूएसएस साइक्लोप्स नाम के जहाज से सफर कर रहे थे। बरमूडा ट्राएंगल को पार करते समय यह जहाज कहां खो गया कुछ पता नहीं चला। जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन मौसम भी अनुकूल था। क्रू के सदस्य संदेश भेज रहे थे कि सब कुछ ठीक चल रहा है, लेकिन अचानक मंजर बदल गया और जहाज किस दुनिया में खो गया कोई जान नहीं पाया।
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जहाजों के अचानक गायब होने से अब लोगों की धारणायें भी बदल रही हैं। अलग-अलग तरह के विचार हर किसी के मन में उमड़ कर प्रश्न बन रहे थे। इसके लिए कई अध्ययन और शोध किए गये, उसमें भी कुछ संतोषजनक उत्तर ना आया। कुछ शोधों के अनुसार बरमूडा ट्राएंगल के पास एक विशेष प्रकार का कोहरा छाया रहता है जिसमें जहाज भटक जाते हैं। जहाजों के गायब होने का दूसरा कारण यह बताया जाता है कि इस क्षेत्र में मीथेन गैसों का भंडार है। इससे पानी का घनत्व कम हो जाता है और जहाज धीर-धीरे पानी में समाने लगता है।
अफवाहें तो यह भी हैं कि इस क्षेत्र में एलियन्स का रिसर्च सेंटर है। एलियनों को बाहरी दुनिया के लोगों का इस क्षेत्र में प्रवेश पसंद नहीं है। इसलिए इस तरह की घटनाओं को वह अंजाम देते हैं। जहाज गायब होने का सटीक कारण अभी तक खोजा नहीं जा सका है।