देश में बन रहा है दुनिया का सबसे ऊंचा पुल, होगा कुतुब मीनार से भी 5 गुना ऊंचा

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भारत निरंतर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, वर्तमान में अपने देश में दुनिया का सबसे ऊंचा पुल बनाया जा रहा है, जोकि एफिल टावर से भी ऊंचा होगा। जी हां, आज हम आपको बता रहें हैं अपने देश में बन रहें उस पुल के बारे में जोकि दुनिया का सबसे ऊंचा पुल होगा। आपको हम बता दें कि यह पुल जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी के ऊपर बनाया जा रहा है। एफिल टावर की ऊंचाई 324 मीटर है, जबकि इस पुल की जमीन से ऊंचाई 359 मीटर होगी यानि यह पुल एफिल टावर से भी ऊंचा होगा। इसके अलावा ऊंचाई के हिसाब से यह पुल कुतुब मीनार से भी 5 गुना ऊंचा होगा। इस पुल की लंबाई 1.3 किलोमीटर की होगी। हम आपको यह भी बता दें कि दुनिया का सबसे ऊंचा पुल वर्तमान में फ़्रांस के टार्न नदी पर बना ब्रिज है, जिसका नाम “मिलो ब्रिज” है। फिलहाल अपने देश में जम्मू-ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला राष्ट्रीय रेलमार्ग परियोजना के अंतर्गत इस पुल का निर्माण किया जा रहा है।

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इस पुल के निर्माण के बारे में परियोजना के निदेशक एमएस राणा का कहना है कि “चिनाब पर बनने जा रहा यह पुल खंबों पर न होकर मेहराब पर होगा यानी इसमें ट्रस्ड स्टील आर्च तकनीक का ऊपयोग किया जाएगा। इस पुल का डिजाइन फिनलैंड की ‘कोर्टेस’ और जर्मनी की ‘लियोनार्ड एंड्रा एंड पार्टनर’ कंपनियों ने मिलकर तैयार किया है। इस पुल के निर्माण में 512 करोड़ रुपयों की लागत का अनुमान है।”, एमएस राणा आगे इस पुल के बारे में बताते हुए कहते हैं कि “सीमेंट का ऊपयोग तो सिर्फ आधार(बेस) बनाने के लिए किया जाएगा और शेष पुल इस्पात का ही होगा। 1.3 किलोमीटर लंबे इस पुल में आर्च यानी मेहराब की लंबाई 485 मीटर होगी। इस पुल की एक बड़ी विशेषता ये भी होगी कि इसमें अब तक की सबसे लंबी पटरी बिछाई जाएगी और वेल्डिंग करके एक ही पटरी की लंबाई पुल के बराबर रखी जाएगी।”, अपने देश के रेलवे विभाग को वैसे तो पुल तथा सुरंगे बनाने में महारत हासिल है, पर इस पुल को भारतीय रेलवे सबसे बड़ी चुनौती मान रहा है। असल में पहले निर्माण स्थल पर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग ही नहीं था, पर अब यह कार्य पूरा हो चुका है, तब निर्माण स्थल की पहाड़ियां भी इंजीनियरों के लिए एक चुनौती बनी हुई है। दरअसल यहां की शिवालिक पर्वत श्रृंखला कच्ची पहाड़ियों की श्रेणी में आती हैं, इसलिए निश्चित तौर पर पुल का निर्माण कार्य कठिन होगा ही, इसके अलावा अधिकारियों के लिए इसकी सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती है।

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