भारत के मिसाइल मैन जिसने बैलेस्टिक मिसाइल परियोजना, परमाणु हथियार तथा हल्के लड़ाकू विमान परियोजना से देश को ताकत दी। अपनी अंतिम सांस तक पूरी ईमानदारी से देश की सेवा की, आज उसी शख्स की कब्र को एक छत तक नसीब नहीं हो पा रही है। राजनीति के दांव पेच में क्या सभी लोग पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के योगदान को भूल चुके हैं ? ये सवाल है देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम के बड़े भाई सलीम का।
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देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को गुजरे हुए करीब 5 महीनों का वक्त बीत चुका है। उनके निधन पर पूरा देश दुखी हुआ था। इनके पार्थिव शरीर को रामेश्वरम स्थित उनके गृहनगर में दफनाया गया था। कलाम साहब को कब्र में दफनाए हुए 5 महीने बीतने के बाद भी उनकी कब्र आज तक एक तिरंगे से ढकी है। जिस पर एक पक्की छत का आज भी इंतजार है। उनकी कब्र पर स्मारक स्थल बनाए जाने के लिए तमिलनाडु सरकार ने जमीन आवंटित कर दी। केंद्र सरकार ने भी कई घोषणाएं कर दी, लेकिन अब तक उनके कब्र स्थल पर स्मारक बनाने को लेकर काम शुरू नहीं हुआ है।
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जहां एक ओर सरकार छोटे से छोटे काम के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने को तैयार रहती है, वहीं पूर्व राष्ट्रपति व भारत के मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की कब्र पर स्मारक स्थल बनाने के लिए सरकार गंभीर नहीं नजर आ रही है।