पहाड़ की बेटी बनी आज की उड़नपरी

0
385

अपने सपनों की उड़ान को छूने के लिए एक चाह की जरूरत होती है। कहा भी गया है कि जहां चाह होती है वहां राह निकल ही आती है। कुछ ऐसा ही हुआ इस पहाड़ की बेटी के साथ जिसने आज की उड़नपरी के रूप में अपने मुकाम तक पहुंच कर सपनों को साकार किया है। अपनी परिस्थितियों से लड़ते हुए इस पीटी ऊषा ने नंगे पैर दौड़ लगाते हुए डिस्ट्रिक्ट लेबल के कॉम्पिटीशन में 5000 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीता। पर कहते हैं ना.. मजबूरी हर गरीब इंसान की दुश्मन बन कर आड़े आ ही जाती है। कुछ ऐसी ही मुश्किलें इस उड़नपरी के आड़े आ रही हैं।



Meet This Barefoot Athlete2Image Source:http://i9.dainikbhaskar.com/

हौसलें बुलंद है पर दर्द जीवन में काफी हैं। अब इस उड़नपरी के करियर पर पथरी का दर्द भारी पड़ रहा है।

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के इसापुर गांव की 15 साल की क्लास 9 की छात्रा बख्शो देवी पित्ताशय में पथरी के दर्द से परेशान हैं। इसके बावजूद उन्होंने 22 दिसंबर 2015 को 5000 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीता। पथरी की बात तब सामने आई जब 27 दिसंबर को मावाकौला में स्टेट लेवल पर आयोजित रेस में बख्शो 5000 मीटर की रेस में तीसरे राऊंड में मैदान पर ही गिर गई।

Meet This Barefoot AthleteImage Source: http://i9.dainikbhaskar.com/

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here