झारखंड का नाम आपने सुना ही होगा, अपने देश के इस प्रदेश में लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड में “नगर” नामक एक कस्बा स्थित है और इस कस्बे में बना है “देवी उग्रतारा” का मंदिर। यह मंदिर काफी प्राचीन बताया जाता है और यह प्राचीन काल से एक शक्तिपीठ और तंत्र साधना का केंद्र भी रहा है। लोगों का इस शक्तिपीठ के प्रति काफी विश्वास और श्रद्धा है। यह मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से करीब 100 किमी दूर स्थित है तथा वर्तमान में हिन्दू-मुस्लिम के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी इस मंदिर पर अपनी पूरी श्रद्धा रखते हैं इसलिए यह मंदिर अब साम्प्रदायिकता और सौहार्द की मिसाल बना हुआ है।
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इस मंदिर के एक पुजारी बताते हैं कि “मंदिर के पश्चिमी भाग में स्थित मंदारगिरी पर्वत पर मदार साहब की मजार है। किंवदंतियों के मुताबिक मदार साहब मां भगवती के बहुत बड़े भक्त थे। दशहरा के विशेष पूजन के समय मंदिर का झंडा नियत समय पर मदार साहब के मजार पर चढ़ाया जाता है। इस मंदिर में मुस्लिम समाज के लोग भी पूजा अर्चना कर मन्नत मांगने आते हैं। श्रद्घालुओं को मंदिर के गर्भगृह में जाने की मनाही है। यहां मंदिर के पुजारी गर्भ गृह में जाकर श्रद्घालुओं के प्रसाद भगवती को भोग लगाकर देते हैं। प्रसाद के रूप में मुख्य रूप से नारियल और मिश्री का भोग लगाया जाता है। मोहनभोग भी चढ़ाया जाता है, जिसे मंदिर के रसोइया खुद ही तैयार करते है। दोपहर में पुजारी भगवती को उठाकर रसोई में लाते हैं। वहां भात (चावल), दाल और सब्जी का भोग लगता हैं, जिसे पुजारी स्वयं तैयार करते हैं।” इस प्रकार से देखा जाए तो आज के दौर में यह मंदिर और मजार एक साथ हिन्दू-मुस्लिम लोगों को साथ में जोड़ने का कार्य करते नजर आते हैं, स्थानीय निवासियों में भी इन दोनों स्थानों के कारण आपस में भाईचारा बना हुआ है।