जीते तो सभी है पर जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं सही मायने में वो मानवता की सही पहचान होते हैं। ऐसे लोगों का आज के समय में मिलना दुर्भर है। क्योंकि आज के समय के लोग बिना स्वार्थ के दूसरों का काम नहीं करते हैं। लेकिन इन बातों को झुठला दिया है एक छोटी सी दुकान चलाने वाले चाय वालें ने, जो निस्वार्थ सेवा कर कई बच्चों को विकास पथ पर चलाने की कोशिश में उनके भविष्य को संवार रहा है।
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उड़ीसा में रहने वाले प्रकाश राव भले ही ज्यादा पढ़े लिखे ना हो, पर आज वो अपनी चाय की कमाई से 70 बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रहें हैं। प्रकाश राव का कहना कि बचपन से घर की जिम्मेदारी का भार और पिता के साथ उनकी चाय की दुकान में मदद करने के कारण वो ज्यादा नहीं पढ़ सके।
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जिससे उनकी पढ़ाई 5वीं क्लास तक ही रह गई। ज्यादा गरीबी होने के कारण पढ़ाई करने पर उनके पिता अक्सर मारा करते थे। उनका कहना था कि पढ़ाई से पेट नहीं भरेगा। लेकिन आज वो अपने सपने को उन छोटे-छोटे बच्चों के जरिए देख रहें हैं। प्रकाश राव आज चाय बेचकर अपनी कमाई का एक हिस्सा बच्चों की पढ़ाई पर लगा देते है। उनके अपनी बेटियां भी हैं, जो पढ़ी लिखी है और उनमें से एक ऑस्ट्रेलिया में रहकर पढ़ाई कर रही है।
प्रकाश राव का का सपना है कि वो हर गरीब बच्चों को पढ़ाकर उनके सपने पूरे कर, उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचा दें। जिससे कोई भूखा ना सो सके। पर क्या ऐसा हर भारतीय सोचता है अगर सब एक होकर इस प्रकार की सोच रखेंगे तो क्या भारत में गरीबी देखने को मिलेगी।