भारत में ऐसी बहुत सी जगहें हैं जहां विज्ञान भी कोई ऐसा तर्क और तथ्य लोगों के सामने नहीं रख पाता जो सामान्य लोगों को सहज ही समझ आ जाये। इसी प्रकार की कुछ जगहों से हम आपका परिचय आज करा रहे हैं। असल में यह पानी के कुण्ड हैं जो लम्बे समय से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। इनके आकर्षण की वजह यह है कि यहां पर आपको हमेशा गर्म पानी निसृत होता मिलेगा। यहां तक कि सर्दियों के मौसम में भी। भारतीय भू-वैज्ञानिकों ने भारत में अनेक गर्म पानी के कुंडों की पहचान की है। इन कुंडों का पानी हर मौसम में किस तरह गर्म रहता है यह बात आज भी रहस्य बनी हुई है।
पढ़िए भारत के कुछ ऐसे कुंडों के बारे में जिनका पानी सालों से गर्म है। यह रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया…
1. यमुनोत्री (उत्तराखंड)-
यमुनोत्री उत्तराखंड राज्य में यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। यमुनोत्री के पास ही कई कुंड बने हुए हैं, जिनमें से सूर्यकुंड गर्म पानी का प्रसिद्ध कुंड है। इस कुंड का पानी इतना गर्म रहता है कि कई बार उसमें हाथ डालना संभव नहीं होता। तीर्थ यात्री इस कुंड के पानी में अपना भोजन पका लेते हैं। लेकिन ऐसा आखिर क्यों होता है अभी विज्ञान इसका कोई उत्तर नहीं दे पाया। इस कुंड का नाम सूर्य कुण्ड भी प्राचीन काल में रखा गया माना जाता है, पर इसकी क्या ऐतिहासिकता रही है इस बात का भी अभी कोई पता नहीं चल सका है।
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2. राजगीर के जल कुंड (बिहार)-
बिहार को ऐतिहासिक भारत की राजधानी कहा जाता है। फ़िलहाल बिहार की राजधानी पटना है। पटना के समीप ही राजगीर नामक स्थल को भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यह प्राचीन भारत के मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। राजगीर न सिर्फ एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है, बल्कि सभी धर्मो की संगमस्थली भी है।
यहां के वैभारगिरी पर्वत की सीढ़िय़ों पर मंदिरों के बीच गर्म जल के कई झरने हैं, जहां सप्तकर्णी गुफाओं से जल आता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। इसकी वजह से जल गर्म और रोग को मिटाने वाला होता है। ब्रह्मकुंड यहां का सबसे खास कुंड है। इसका तापमान 45 डिग्री सेल्सियस होता है। इसे पाताल गंगा भी कहा जाता है। माना जाता है की इन कुंडों में स्नान करने पर त्वचा रोग समाप्त हो जाते हैं तथा अन्य रोगों में भी जल्दी आराम होता है।
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3. अत्रि जल कुंड (ओडिशा)-
ओडिशा का अत्रि जल कुण्ड भी अपने गर्म पानी के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह जल कुण्ड अपने सल्फरयुक्त गर्म पानी के लिए प्रसिद्ध है। यह जलकुंड भुवनेश्वर से 42 कि.मी. दूर है। इस कुंड के पानी का तापमान 55डिग्री है। माना जाता है कि इस जल कुण्ड का निर्माण ऋषि अत्रि ने किया था। इसलिए उसका नाम अत्रि ऋषि के नाम पर ही अत्रि कुण्ड हैं। इस कुण्ड में स्नान करने से बहुत ताजगी महसूस होती है व थकान दूर हो जाती है।
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4. मणिकरण (हिमाचल प्रदेश)-
मणिकरण हिमाचल प्रदेश का हराभरा और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हिसा है। यह कुल्लू से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। यह जगह खासतौर पर गर्म पानी के स्रोत के लिए जानी जाती है। इस पानी का तापमान बहुत अधिक है। यह स्थान हिंदू व सिखों के लिए आस्था का केंद्र है। यहां एक प्रसिद्ध मंदिर है और सिखों के प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक यहां स्थित है। यहां के गर्म पानी के कुंड के जल में गुरुद्वारे के लिए चावल आदि पकाए जाते हैं।
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5. तुलसी-श्याम कुंड (गुजरात)-
तुलसी श्यामकुण्ड गुजरात राज्य में जूनागढ़ से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर गर्म पानी के तीन कुण्ड हैं। इनकी खासियत यह है कि तीनों में अलग-अलग तापमान का पानी रहता है। तुलसी श्याम कुण्ड के पास ही 700 साल पुराना एक मंदिर भी है।
हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि इन कुंडों में सल्फर आदि खनिजों की मात्रा अधिक होती है। जिसके कारण इन कुंडों का जल हमेशा गर्म रहता है। कुछ लोग यहां की जमीन को विशेष मानते है वहीं कुछ लोग इन कुंडों को धार्मिकता से जोड़ते हैं। जिस प्रकार से प्रत्येक कार्य के पीछे कोई न कोई कारण होता है, उसी प्रकार से इन कुंडों के पीछे कोई कारण जरूर है। पर अभी विज्ञान इस बारे में खामोश ही है।