कोटिकालिना काडू बसप्पा में फल-फूल के स्थान पर चढ़ाएं जाते हैं पत्थर, जानिए क्यों

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आपने बहुत से मंदिर देखें होंगे पर क्या आप किसी ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं, जहां पर फल-फूल के स्थान पर पत्थर चढ़ाएं जाते हैं। शायद आपने ऐसे किसी मंदिर के बारे में नहीं सुना होगा। असल में यह बात आपको अजीबोगरीब भी लग रही होगी क्योंकि मंदिर में तो फल-फूल ही चढ़ाएं जाते हैं। लेकिन हम आपको बता दें कि अपने ही देश में एक मंदिर ऐसा भी है जहां दर्शन करने वाले लोग फल-फूल के स्थान पर पत्थरों को चढातें हैं। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं इस मंदिर के बारे में।

दक्षिण भारत का है यह मंदिर

दक्षिण भारत का है यह मंदिरImage source:

सबसे पहले आपको बता दें कि यह मंदिर अपने देश के दक्षिण में स्थित है। इस मंदिर का नाम “कोटिकालिना काडू बसप्पा” है। इस मंदिर की सबसे अजीबोगरीब बात यही है कि यहां पर फल-फूल के स्थान पर पत्थरों को भगवान पर अर्पण किया जाता है। कोटिकालिना काडू बसप्पा मंदिर में आप किसी भी साइज़ का पत्थर भगवान को चढ़ा सकते हैं यह कितना भी छोटा अथवा बड़ा हो सकता है, पर मुख्य बात यह है कि आपको सिर्फ 3 अथवा 5 पत्थर ही अर्पण करने होते हैं।

मंदिर में पत्थरों को अर्पण करने की यह प्रथा काफी प्राचीन है और काफी समय से लोग पत्थरों को मंदिर अर्पित कर रहें हैं। इसी कारण से मंदिर के सामने बहुत बड़ी संख्या में पत्थर जमा हो चुके हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर बैंगलुरु-मैसूर नेशनल हाईवे पर स्थित मांड्या सिटी से मात्र 2 किमी की दूरी पर बना हुआ है। इस मंदिर का कोई स्थाई पुजारी नहीं है बल्कि यहां आने वाले लोग खुद ही पूजन का कार्य करते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव की एक प्रतिमा है जिनको स्थानीय निवासी “भगवान काडु” कहते हैं।

घर में खुशी का कोई कार्य हो या अच्छी फसल होने के बाद किसान अपने खेत या घर से पत्थर लाकर इस मंदिर में श्रद्धा से चढ़ा देते हैं। कोटिकालिना काडू बसप्पा मंदिर के आसपास के निवासी ज्यादातर किसान ही हैं इसलिए वे फसल अच्छी होने पर खेत से पत्थर लाकर यहां चढ़ा देते हैं। देखा जाएं तो यह दुनिया में शायद एकमात्र मंदिर है जहां पर लोग फल-फूल के स्थान पर पत्थर चढातें हैं खैर यह मंदिर इस बात का संदेश भी देता है कि आपकी ईश्वर में श्रद्धा हो और आपका ह्रदय साफ़ हो तो आपके चढ़ाएं पत्थर से भी ईश्वर खुश हो जायेगा।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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