हमारे हिन्दू धर्म में बैसे तो कई तरह के त्यौहार मनाये जाते है उन्ही त्योहारों में से एक है नागपंचमी जिसमें लोग सदियों से नाग की पूजा करते आ रहे है हिंदू परंपरा में नाग को भगवान भोलेनाथ का आभूषण माना गया है। और इनकी पूजा हर एक धार्मिक मंदिरों में की जाती है इन्हीं मंदिरो में से एक है, उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर । इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर के पट
साल में सिर्फ एक बार खुलते है क्योकि इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि नागपचमी के दिन साक्षात् नागदेव स्वयं मंदिर में आकर निवास करते है
रात 12 बजे खुलते है पट –
वर्ष में एक बार खुलने वाले इस नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर में नाग देवता के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु हर एक जगह से आते है नागपंचमी महापर्व के दिन विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित प्राचीन श्री नागचंद्रेश्वर महादेव के मंदिर के पट मध्य रात 12.00 बजे पट आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाते है।
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नाग आसन पर शिव–पार्वती के दर्शन –
11वीं शताब्दी में बनी नाग की अद्भुत प्रतिमा के साथ शिव-पार्वती की भी प्रतिमा बिराजमान है कहा जाता है की यह अद्भुत प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। जो की उज्जैन के अलावा अब ऐसी प्रतिमा दुनिया में कहीं भी नहीं है ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन खुद नागदेव इस प्रतिमा के सामने आकर बैठ जाते हैं।
इस अद्भुत नजारे के दर्शन करने लिए लाखों लोग यहां नागपंचमी के दिन पहुंचते हैं। नागचंद्रेश्वर के दर्शनों के लिए एक दिन पहले ही यहां श्रद्धालुओं को लंबी कतारें लग जाती हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही भगवान नागचंद्रेश्वर की मनमोहक प्रतिमा के साथ शिव-शक्ति का साकार रूप देखने को मिलता हैं।