श्रीमद्भागवत पुराण की भविष्यवाणियां, जो आज हो रहीं हैं सच

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जैसे-जैसे इस दुनिया के अंत का समय निकट आते जा रहा है, वैसे-वैसे कई हजार वर्षों पहले हुई भविष्यवाणियों के पन्ने भी खुलते जा रहें हैं। ऐसे ही नास्त्रेदमस के द्वारा की गई भविष्यवाणियों भी आज के समय के सच को बयां कर रहीं हैं। इस कलियुग में घटित होने वाली सभी घटनाओं का विवरण आज से 5हजार साल पहले भागवत पुराण में कर दिया गया था, आपको ये जानकर आश्चर्य होगा श्रीमद्भागवत पुराण में कलियुग में होने वाली हर घटनाओं का विवरण दिया गया है जो आने वाले विनाश की ओर हमें अगाह कर रहीं हैं। तो जाने कलियुग से जुड़ी कुछ भविष्यवाणियां…

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ततश्चनुदिनं धर्मः सत्यं शौच क्षमा दया।
कालेन बलिना राजन् नड्क्षय्यायुर्बलं स्मृतिः।।

लोगों में धर्म, सत्य, स्वच्छता, दया, शक्ति, सहिष्णुता के साथ शारीरिक शक्ति स्मृति का नाश दिन प्रतिदिन होता जाएगा।

क्षितृड्भ्या व्याधिभिश्रैच्व सन्तप्स्यन्ते च चिन्चया।
त्रिंशदिव्शतिवर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम।।

भगवतपुराण में कलियुग के बारे में कहा गया है कि इस युग में लोग बीमारी के साथ कई तरह की चिंताओं के साथ दुखी रहेंगे। इस काल में मनुष्य की आयु 20 से 30 वर्ष तक ही रहेगी।

दरे वार्ययनं तीर्थ लावण्यं केशधारणम।
उदरंभरता स्वार्थ सत्य्त्वे धाष्टर्यमेव हि।।

लोग दूर के नदी तालाब को तीर्थ स्थान मानकर वहां जाना पसंद करेंगे, पर अपने माता-पिता के साथ रहना पसंद नहीं करेंगे। उनकी निंदा करते रहेंगे। उस समय के लोगों की सुंदरता लंबे बालों से आंकी जाएगी और इस युग में लोग अपने पेट के लिए मेहनत करेंगे।

वित्तमेव कलौ नृणां जन्माचारगुणोदयः।
धर्मन्यायव्यवस्थायां कारणं बलमेव हि।।

इस युग में जिस व्यक्ति के पास जितना अधिक पैसा होगा उसका सम्मान उतना ही अधिक होगा। धर्म और न्यायव्यवस्था केवल धन शक्ति के आधार पर लागू होगी और इसी को बल मिलेगा।

दाम्पत्येभिरूचिहेतमायैव व्यावहारके।
स्त्रीत्वे पुंस्तवे च हि रितर्विप्रत्वे सूत्रमेव हि।।

इस युग में पुरूष और औरत के बीच शर्त के आधार पर रिश्ते बनेंगे। दोनों का विवाह केवल एक समझौते के आधार पर टिका रहेगा।

लिड्गमेवाक्षमख्यातावनेयोन्यापत्तिकारणम।
अवृत्तया नयायदौर्बल्यं पाडिण्त्ये चापलं वचः।।

इस युग में जो व्यक्ति जितना अधिक चालाक धुर्त और स्वार्थी होगा वो इस युग का सबसे ज्ञानी इंसान माना जाएगा। हर व्यापार में वो अपने छल से ही उन्नति करेगा।

अनावृष्टया व्याधिभिश्रैच्व सन्तप्स्यन्ते च चिन्या।
शीतवीतीवपप्रावृडिहमैरन्योन्यतः प्रजाः।।

मौसम के अनुकूल वातावरण बनेगा। कभी ज्यादा बारिश होगी तो कभी सूखा पड़ेगा। कभी कड़ाके की सर्दी तो कभी कड़ाके की गर्मी। बाढ़, आंधी जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ेगी। इस स्थिति से लोग हमेशा परेशान रहेंगे।

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