आप सब जानते हैं कि हमारे देश का इतिहास बहुत ही पौराणिक होने के साथ-साथ काफी विशाल भी रहा है। इतिहास के पन्ने यदि खोले जाएं तो यह पता चलता है कि हमारे देश का विस्तार बहुत दूर-दूर तक था। बहुत से युद्ध लड़े गए और बहुत से नए राज्य व शहरों का निर्माण किया गया। इसी कड़ी में श्री राम के समय की भी एक घटना का वर्णन मिलता है, जिसमें दो नए शहरों के निर्माण का जिक्र आता है।
असल में जब त्रेतायुग में श्री राम रावण का वध करके अयोध्या के राजा बने तब उनके भाई भरत ने सिंधु नदी के तट पर बसे गन्धर्वों के साथ युद्ध कर विजय प्राप्त की थी। इस बात के प्रमाण उत्तरकाण्ड के 100वें सर्ग में मिलते हैं। यदि विस्तार से जानें तो इन सभी युद्धों में भरत के मामा ने विशेष भूमिका निभाई थी। उनका नाम युधाजित था।
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भरत के मामा युधाजित ने ही महर्षि गार्ग्य को अयोध्या भेजकर यह सन्देश भिजवाया था कि सिंधु नदी के तट पर स्थित गंधर्व देश अतिशय समुद्र प्रदेश है। उसकी संख्या 3 करोड़ है। इसके बाद मामा युधीजित ने श्रीराम से आग्रह किया कि गंधर्वों पर विजय करके यह प्रदेश जीत लेना चाहिए। इस तरह श्रीराम ने भी यह प्रस्ताव तत्काल स्वीकार किया और भरत को गंधर्वों के साथ युद्ध में जीत के लिए भेजा। भरत युद्ध के लिए पहुंचे। वह इस युद्ध में सेनापति की भूमिका में थे और श्रीराम मुख्य भूमिका में। उन्होंने जल्द ही गंधर्वों को युद्ध में हरा कर विजय श्री हासिल की। उन्होंने सिंधु तट पर तक्षिला और पुष्कलावत (वर्तमान पेशावर जो कि पाकिस्तान में है) नामक नगर बसाए। ये दोनों नगर अपने पुत्रों लव और कुश को सौंपकर श्रीराम अयोध्या वापस लौट आए।
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उत्तरकांड में यह उल्लेख मिलता है कि कालक्रम में श्रीराम ने जब अपनी जीवनलीला समाप्त की तो भरत भी उनके साथ ही स्वधाम चले गए।