‘अरे ओ सांबा कितने आदमी थे…….’ ‘शोले’ फिल्म का यह डायलॉग सुनते ही केवल शोले के गब्बर सिंह का ही चेहरा आखों के सामने नजर आता है जिसे अमजद खान ने निभाया था। बॉलीवुड में कई डकैत हुए है पर शोले के डाकू गब्बर सिंह इन सभी डकैतों से बिल्कुल अलग थे, वह उस विलेन की तरह बिल्कुल नहीं सोचते थे जिसकी आदत हिंदी सिनेमा के दर्शकों को थी। कॉलेज के समय में भी वह छात्र संघ के जनरल सेक्रेटरी चुने गए थे, तथा कॉलेज में भी उनकी छवि दंबग वाली थी जिस कारण कॉलेज में उन्हें सभी ‘दादा’ कहकर पुकारते थे।
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वैसे इस फिल्म से पहले अमजद खान को कम ही लोग जानते थे लेकिन इस फिल्म के बाद से वह देश ही नहीं दुनियाभर में फेमस हो गए। अमजद खान का जन्म 12 नंवबर 1940 को पेशावर में हुआ था। उन्होंने 1951 में नाजनीन फिल्म से ही बतौर बाल कलाकार ही बॉलीवुड में अपने करियर की शुरूआत की थी। उसके बाद उन्होंने 1957 में ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ में भी काम किया।
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सन् 1979 में उन्हें फिल्म दादा के लिए सर्वश्रेष्ठ सह कलाकार के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वर्ष 1985 में फिल्म मां कसम के लिए अमजद खान हास्य अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए।
वर्ष 1986 में एक दुर्घटना के दौरान अमजद खान लगभग मौत के मुंह से बाहर निकले थे और इलाज के दौरान दवाइयों के लगातार सेवन करने से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती रही। उनका शरीर लगातार भारी होता गया। नब्बे के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण अमजद खान ने फिल्मों मे काम करना कुछ कम कर दिया। अमजद खान चाय के भी बेहद शौकीन थे। दिन भर में पच्चीस-तीस कप चाय पीने के कारण भी उनका शरीर फैलता जा रहा था। अपनी अदाकारी से लगभग तीन दशक तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाले हरदिल अजीज अभिनेता अमजद खान 27 जुलाई 1992 को इस दुनिया से रूखसत हो चुके हैं।