पाकिस्तान के इस्लामाबाद से महज 60 किमी की दूरी पर एक गांव ऐसा है जो 500 सालों से गुफा के अंदर रहकर अपना जीवन व्यतीत करते आ रहा है। इनके इस गुफा के अंदर रहने का कारण कुछ खास है। बताया जाता है घर की तुलना में गुफा बनाना सबसे सस्ता और आसान तरीका है क्योकि घर की अपेक्षा निर्माण में लगते है 2.5 लाख तो गुफा की लागत आती है महज 40 हजार रुपए।
पाकिस्तान जो एक से एक आधुनिक हथियार बनाने में जुटा है, लेकिन राजधानी इस्लामाबाद से महज 60 किमी की दूरी पर स्थित हसन अब्दल गांव जहां की आबादी करीब 3000 है, लेकिन इस गांव के बारे में ये जान कर दुनिया हैरान रह जाती है कि इस गांव की धरती पर एक भी घर नहीं हैं, दरअसल पूरा गांव गुफा के भीतर रहता है, आपको जान कर हैरानी होगी कि गुफा के भीतर घर जैसी सभी सुविधाएं मौजूद हैं। यहां के काजी हाजी अब्दुल रशीद का भी इन्ही गुफा में निवास है।
इस गुफा वाले गांव के सभी घर ज़मीन के नीचे हैं और लोग अपनी गुफा खुद ही बनाते हैं,और घरों की खूबसूरती के लिए लोग खुद दीवारों पर प्लास्टर भी करते हैं। इस इलाके में भूस्खलन की आशंका ज़्यादा रहती है लेकिन गुफाओं में रहने की वजह से भूस्खलन का खतरा नहीं रह जाता है। लोगों का कहना है कि अगर मिट्टी का घर बनाएंगे तो वह बारिश में ज़मीदोज़ हो सकता है, लेकिन गुफा के गिरने का खतरा नहीं रह जाता है। जानकार ये भी मानते हैं कि ज़मीन के नीचे स्थित गुफा में भूकंप और बम का खतरा भी खत्म हो जाता है।
इतिहास बताता है कि इस गांव में बीते 500 सालों से लोग गुफा में रह रहे हैं। गुफा बनाने के पीछे की बड़ी वजह ये है कि इसकी लागत काफी कम आती है। जानकार तो ये भी कहते हैं कि गर्मी में जब पार 40 डिग्री सेल्सियस को पार करता है तो भी गुफा में ठंडक रहती है। और जब कड़ाके की सर्दियां होती हैं तो गुफा में गर्माहट रहती है। इसके अलावा घर की लागत ढाई लाख रुपए आती है, पर गुफा केवल 40 हजार रुपए में बन कर रहने लायक हो जाती है। इन सारी सुविधाओं के अलावा एक दिक्कत भी है और वो ये है कि यहां सूर्य की रोशनी के लिए लोगों को मैदान में निकलना पड़ता है।