देश के करीब 13 राज्य इस वक्त सूखे की मार को झेल रहे हैं। चारों तरफ बस त्राहि-त्राहि मची हुई है। नहाना-धोना तो दूर लोगों को पीने तक के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। देश के कई क्षेत्रों में तो सूखे की भयावह स्थिति है। जमीन का पानी तो जैसे मानों पाताल तक पहुंच गया है। वहीं ऐसे में राजनीतिक पार्टियां भी इस समस्या को सुलझाने की बजाए अपनी सियासी रोटियां सेंकने में लगी हुई हैं। जिसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि चाहे विश्वयुद्ध हो या ना हो, लेकिन आने वाले दिनों में हमारे देश में पानी के लिए ‘गृहयुद्ध’ जरूर हो सकता है क्योंकि प्यासा आदमी मरता तो क्या ना करता?
Image Source :http://www.raigarhtopnews.com/
एकतरफ जहां देश का ये हाल है, वहीं गर्मी के तेवर भी काफी गरम है। उसने भी अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। जिसके बाद हमारे देश के वैज्ञानिकों को अब देश के लोगों की चिंता सताई और उन्होंने खोज निकाला एक ऐसा तरीका जिसको जानकर उनके इस काम को सराहे बिना नहीं रह पाएगी देश की जनता। जी हां, देश की जनता के लिए एक आशा कि किरण बनकर सामने आए वैज्ञानिकों ने एक तरीका खोज़ निकाला है। जिससे समुद्र के खारे पानी को मीठा किया जा सकेगा। फिलहाल तो अभी इससे 1 दिन में सिर्फ 6.3 मिलियन पानी ही पीने योग्य बनाया जा रहा है। इसमें वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है।
Image Source :http://i.ndtvimg.com/
जान लें कि भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) के वैज्ञानिकों ने तमिलनाडु के कलपक्कम में एक पायलट प्लांट तैयार किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ‘इस प्लांट में समुद्र के पानी को साफ और शुद्ध करने के लिए वेस्ट स्टीम का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 6.3 मिलियन लीटर पानी को शुद्ध करने की है। हालांकि इस समय कुडनकूलम न्यूक्लियर प्लांट में ताजे पानी का उपयोग किया ज़ा रहा है।’ इसके अलावा वैज्ञानिकों ने एक ऐसा शोधन तरीका भी खोज निकाल लिया जिससे यूरेनियम और आर्सेनिक युक्त पानी को भी पीने लायक बनाया जा सकता है। प्लांट में शुद्ध किए गए पानी में समुद्र का पानी जैसा खारेपन का स्वाद नहीं, बल्कि यह ताज़े और साफ़ पानी जैसा ही होगा।
Image Source :http://i.ndtvimg.com/
वहीं भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के डायरेक्टर के.एन. व्यास के मुताबिक “यूरेनियम-आर्सेनिक युक्त पानी को भी कम लागत में पीने लायक बनाया गया है। ऐसे कई प्लांट पंजाब के अलावा पश्चिम बंगाल में भी स्थापित किए गए हैं।” उन्होंने बताया कि “इतना ही नहीं बार्क ने ऐसी झिल्लियां भी विकसित की हैं जिनके जरिये बेहद कम लागत पर यूरेनियम या आर्सेनिक युक्त पानी को साफ और शुद्ध करके पीने लायक बनाया जा सकता है।”
बता दें कि हाल ही में देश के पीएम ने भी बार्क का दौरा किया था। जिसमें पीएम मोदी ने उस साइकल को भी चला कर देखा जिसमें पानी के प्यूरीफायऱ को लगाया गया है। पैंडलिंग के द्वारा पैदा होने वाली इस ऊर्जा की हेल्प से यह साइकिल खारे और दूषित पानी को पीने के योग्य बना देती है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने घर मे प्रयोग किए जा सकने वाले ऐसे वाटर प्यूरीफायर भी बनाए हैं, जिनकी मार्केटिंग सूखे से बुरी तरह प्रभावित मराठवाड़ा में की जा रही है।