सैयद शर्फुद्दीन शाह विलायत की इस दरगाह पर चारों ओर फैले हैं बिच्छू, पर ये किसी को काटते नहीं

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भारत में बहुत से सूफी संतों की दरगाहें मौजूद हैं जहां लोग बड़ी संख्या में जाते हैं, पर इनमें कुछ दरगाहें अपनी खूबी के लिए काफी प्रचलित हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही दरगाह के बारे में यहां बता रहें हैं। इस दरगाह के बारे में जो भी सुनता है वह हैरान रह जाता है। असल में इस दरगाह की यह खूबी है कि इसमें सभी जगह आपको जहरीले बिच्छू मिलेंगे, पर वे कभी भी लोगों को काटते नहीं है।

इस दरगाह का नाम “सैयद शर्फुद्दीन शाह विलायत की दरगाह” है और यह दरगाह उत्तर प्रदेश के “अमरोहा” नामक शहर में स्थित है। यहां के बिच्छू दरगाह आने वाले लोगों को क्यों नहीं काटते हैं, इस संबंध में एक प्राचीन लोक कथा बताई जाती है। यह लोक कथा करीब 800 वर्ष पुरानी है।

माना जाता है कि 800 वर्ष पहले ईरान के एक सूफी संत सैयद शर्फुद्दीन शाह ने यहां अमरोहा में आकर अपना डेरा डाला था, पर अमरोहा में पहले से रह रहें बाबा शाह नसरूद्दीन को यह बात अच्छी नहीं लगी, इसलिए उन्होंने संत सैयद शर्फुद्दीन शाह के पास में एक कटोरे में पानी भेजा।

सैयद शर्फुद्दीन शाह ने बाबा शाह नसरूद्दीन के भेजे पानी के कटोरे को ढक कर उसके ऊपर से एक फूल रख कर वापस कर दिया और कह दिया कि वह इस शहर में ऐसे ही रहेंगे जैसे इस कटोरे के ऊपर यह फूल।

Scorpions are all around at this syed sharfuddin shah vilaayat shrineimage source:

इसके बाद में बाबा शाह नसरूद्दीन ने सैयद शर्फुद्दीन शाह विलायत को बद्दुआ दे दी और कहा कि सैयद शर्फुद्दीन शाह विलायत के स्थान पर हमेशा बिच्छू ही रहेंगे और शहर भर के खोये गधे घोड़े उनके ही स्थान पर मिला करेंगे। इस पर सैयद शर्फुद्दीन शाह बाबा ने कहा कि मेरे स्थान पर रहने वाले बिच्छू कभी किसी को नहीं काटेंगे और मेरे स्थान की परिधि में कोई भी पशु गंदगी नहीं फैलाएगा।

यह बात आज तक सही साबित होती आई है। इस कारण ही बाबासैयद शर्फुद्दीन शाह विलायत की इस दरगाह में जाने वाले किसी भी व्यक्ति को यहां का कोई बिच्छू कभी नहीं काटता है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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