काफी समय से एलियंस पर खोज चल रही है। वैज्ञानिक इस विषय पर वर्षों से शोध कर रहें हैं। कई बार यूएफओ देखने की घटना भी सुनने या पढ़ने में आ चुकी है। इस प्रकार की चीजों ने ही वैज्ञानिकों को एलियन के अस्तित्व पर खोज करने को प्रोत्साहित किया है। वर्षों के शोध से अब तक साबित नहीं हो पाया की एलियंस वास्तव में है या नहीं। इस बारे एम् वैज्ञानिकों को कोई ठोस साबुत नहीं मिला है। परंतु हालही में अमेरिका की वाशिंगटन स्टेट यूनिर्वसिटी में हुए एक शोध में यह दावा किया गया की वास्तव में एलियंस का अस्तित्व है। इस शोध इ बाद न सिर्फ वैज्ञानिक जगत बल्कि एलियंस में रूचि रखने वाले शोधार्थी भी हैरान हैं। इस शोध के बाद जो परिणाम सामने आया उसके अनुसार वैज्ञानिकों ने बताया की करोड़ों वर्ष पहले एलियंस का अस्तित्व था चांद पर एलियंस निवास करते थे। वैज्ञानिकों ने इस बात को स्पष्ट करते हुए आगे बताया की “चांद पर दो अलग अलग दौर में एलियन का अस्तित्व था। चांद पर उल्का पिंडो के गिरने के कारण वहां रहने योग्य वातावरण पैदा हुआ जो यहां से बेहतर था शायद इसलिए ही एलियंस वहां रह सके।”
ज्वालामुखी विस्फोट से हुआ होगा जीवन का वातावरण निर्मित –
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वर्तमान में जो चाँद हम देखते हैं। उसकी धरती पर चारों और धूल ही धूल है लेकिन वैज्ञानिकों का मत है की ऐसा पहले नहीं रहा होगा। वैज्ञानिक इस बारे में कहते हैं की 3.5 अरब तथा 4 अरब वर्ष पहले चांद पर जीवन का अच्छा वातावरण था। पहली बार उल्का पिंडो के विस्फोट से तथा दूसरी बार ज्वालामुखी के विस्फोट से जीवन की परिस्थितियां निर्मित हुई होंगी। इस दोनों की समयों पर चांद पर भारी मात्रा में गर्म गैस बनी होगी। जिसके बाद वहां के जल का वाष्पीकरण हो गया होगा और उसके बाद जल की उसी वाष्प से चांद पर जलाशयों का निर्माण हुआ होगा।
इन परिस्थितियों के कारण चांद पर आया जीवन –
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एस्ट्रोबायॉलजी के विशेषज्ञ डिर्क शुल्ज माकुच का कहना है की जब चांद के पानी का वाष्पीकरण हुआ और उससे जलाशय निर्मित हुए तो चांद पर लंबे समय के लिए जीवन की संभावना निर्मित हुई। उस समय चांद पर अस्थाई रूप से रहने लायक वातावरण बन चुका था। वैज्ञानिक शुल्ज ने इस शोध को वैज्ञानिक प्रोफेसर इयान क्राफॉर्ड के साथ मिलकर किया है। इन दोनों वैज्ञानिकों का कहना है की यदि पहले जैसी परिस्थितियां फिर से चांद पर पैदा हुई तो वहां की धरती फिर से रहने लायक हो सकती है।