सऊदी अरब की ओर से अब तक कई बार गैर अरबी मुस्लिम लोगों के लिए विवादित बयान जारी किये गए हैं। हाल ही का यह बयान सुनकर आप दंग रह जायेंगे। सबसे पहले बात करते हैं इस्लाम की ताकि आपकों यह खबर स्पष्ट रूप से समझ आ जाए। इस्लाम की स्थापना हजरत मुहम्मद साहब ने सऊदी अरब में छठी शताब्दी में की थी। उनके जीवन काल के बाद इस्लाम तेजी से अन्य देशों में फैला। इसी क्रम में भारत में भी इस्लाम ने अपने पांव पसारे। यहां पर इस्लाम मुगल काल में धर्मान्तरण के जरिये तेजी से आगे बढ़ता रहा। अपने समय में बादशाह ओरंगजेब ने तो धर्मान्तरण के लिए बाकायदा रेट तक फिक्स किये हुए थे। यही कार्य दक्षिण भारत में टीपू सुल्तान ने भी किया था। ये लोग धर्मान्तरण कराने वाले धर्म गुरुओं को धन और सुरक्षा दोनों मुहैय्या कराते थे। कुल मिलाकर मध्यकाल का इतिहास एक प्रकार से धर्मान्तरण का ही समय था। अब आते हैं अपने मुख्य विषय पर।
किंग अब्दुल्लाह का बयान
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सऊदी अरब की बात करें तो वहां के स्थानीय निवासी स्वयं को न सिर्फ असली बल्कि उच्च मुस्लिम मानते हैं और गैर अरेबिक मिस्लिम को निम्न कोटी का मुस्लिम। कुछ समय पूर्व चर्चा में आया आतंकी संघटन ISIS भी इसी प्रकार की मान्यता रखता है और अरेबिक देशों के मुस्लिम लोगों को अपने यहां उच्च पद देता है तथा अन्य देशों के मुस्लिम लोगों से फोर्थ क्लास यानि अत्यंत निम्न कार्य कराता है। ISIS से लौट कर आये भारत के युवकों ने इस बात की तस्दीक की है। पिछले दिनों सऊदी अरब के पूर्व बादशाह रहें किंग अब्दुल्लाह ने भी इसी प्रकार की मानसिकता का परिचय दिखाया था। किंग अब्दुल्लाह ने अपने बयान में कहा था कि “भारत और पाकिस्तान के मुस्लिम लोग हमारी तरह कपड़े पहन कर हमारी नकल करने की कोशिश न करें। हम लोग हैंडसम होते हैं और वे देखने में भद्दे होते हैं।”
सऊदी के रक्षा मंत्री का बयान
इसी क्रम में हम आपकों बता रहें हैं सऊदी अरब के रक्षा मंत्री Muhammad Bin Suleiman का बयान। यह बयान 2017 के जून माह में जारी किया गया था। Bin Suleiman ने अपने बयान में कहा था कि पाकिस्तान के लोग उनकी नजर में सिर्फ गुलाम हैं। इसके अलावा जितने भी गैर अरेबिक देश हैं उन सभी के मुस्लिम ‘converted-muslim’ हैं। भारत, पाक और बांग्ला देश के मुस्लिम अरब की नजर में “Al-Hindi-Muskeen” हैं और ये लोग सेकेंड ग्रेड के लोग हैं।
अरेबिक उलेमा का बयान
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आपको बता दें कि भारत, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के मुस्लिम लोगों को सऊदी अरब के स्थानीय लोग “अल हिंदी मसकीन” कहते हैं। इस शब्द का असल मतलब होता है – “वे मुस्लिम जिनको अरबी मुस्लिमों द्वारा धर्मान्तरित किया गया हो।” हाल ही में सऊदी के एक धर्म गुरु ने भी अपनी ऐसी ही मानसिकता का परिचय दिया है। इस धर्म गुरु का नाम है “मुहम्मद अल अरीफी मुहम्मद अल अरीफी”, इन्होंने सऊदी के पूर्व किंग अब्दुल्लाह से भी चार कदम आगे बढ़ कर अपना बयान जारी किया है। इस धर्म गुरु ने कहा है कि “अरेबिक लोग ही सच्चे मुस्लिम हैं तथा पैगंबर के वंशज हैं। जबकि अन्य देशों के जितने भी मुस्लिम है वह दरअसल धर्मान्तरित हैं। ऐसे लोगों को खुद को मुस्लिम कहते हुए भी शर्म आनी चाहिए।”
इस बयान के बाद में हमारे देश के सभी मुस्लिम धर्म गुरु अभी तक चुप हैं और इस बारे में न तो वक्फ बोर्ड से कोई जवाब दिया गया और न ही मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की ओर से, खैर विवेकवान मुस्लिम लोगों को यह विचार करना ही चाहिए कि ईराक ने हज के लिए अपने देश के मुस्लिम लोगों पर बैन आखिर क्यों लगा दिया है।