103 की उम्र में भी नहीं हुआ पेड़ों से प्यार कम

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हमारे देश में अक्सर युवाओं का ध्यान पर्यावरण की तरफ लगाने की कोशिश की जाती है ताकि वह वातावरण के प्रति जागरूक हो सकें। इन कोशिशों का ज्यादा सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पाता है, लेकिन कर्नाटक की सालुमरादा टिम्माक्का जिनकी उम्र 103 है, वह इस मामले में उम्मीद की एक किरण दिखाई देती हैं।

103 की उम्र में भी सालुमरादा अक्सर पेड़ पौधे लगाती हुई नजर आती हैं। 103 की उम्र में जहां बुजुर्ग लोग घर पर आराम करते हैं, वहीं सालुमरादा पर्यावरण को हरा भरा बनाने में लगी हुई हैं। उनका मानना है कि पर्यावरण के पास रहकर वह अपने आपको ऊर्जावान महसूस करती हैं।

Saalumarada ThimmakkaImage Source:

सालुमरादा ऐसे तो काफी गरीब हैं। वह अपना जीवन सरकार की पेंशन से चला रही हैं। उनकी पेंशन महज 500 रुपए है, इसके बावजूद वह कोशिश करती हैं कि पेड़ पौधों को मानसून के दौरान लगाएं ताकि पानी की कोई परेशानी ना आ पाए।

सालुमरादा एक छोटे से घर में रहती हैं। उनके साथ सिर्फ उनके पति रहते थे, लेकिन कुछ समय पहले उनकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद वह बिल्कुल अकेली हो गईं हैं। पति की मृत्यु के बाद उन्होंने एक लड़के को गोद ले लिया ताकि वह अकेला महसूस ना करें। वह अपने बेटे को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करती हैं।

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सालुमरादा को सरकार की तरफ से राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर काफी सराहा गया और राष्ट्रीय नागरिक के तौर पर अवॉर्ड से भी नवाजा गया। सालुमरादा का सपना है कि वह एक दिन अस्पताल शुरू करें, उन्हें विश्वास है कि एक दिन ऐसा जरूर होगा क्योंकि वह अस्पताल बनवाने के लिए काफी कोशिश कर रही हैं।

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