इंडियन फ्यूज़न एक कैनेडियन रेस्टोरेंट है, जो कनाडा के एडमॉनटन, एलबर्टा में स्थित है। इस रेस्टोरेंट के पिछले दरवाजे पर एक साइन बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है जिस भी व्यक्ति को खाने की जरूरत है वह यहां फ्री में खाना खा सकता है, हम उसको अंदर आने का न्यौता देते हैं।
रेस्टोरेंट के पिछले दरवाजे पर लिखा है:
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प्रिय दोस्तों,
अगर आप भूखे हैं और आपके पास पैसे नहीं है तो आप नीचे लगी बैल को बजाइए या फिर फ्री मील/कॉफी के लिए अंदर आ जाइए।
इतना ही इस रेस्टोरेंट के दरवाजे पर यह भी लिखा है कि आपको कैसा खाना खाना है, वेज या नॉन वेज। इसके अलावा ड्रिंक्स के ऑप्शन भी इस पर लिखे हैं।
एक अंग्रेजी वेबसाइट को अपने रेस्टोरेंट को बारे में बताते हुए इंडियन फ्यूज़न के मालिक और शेफ प्रकाश छिब्बेर बताते हैं कि उन्होंने अपनी पिछली ज़िंदगी में बहुत भूख देखी है। उन्होंने बताया कि वह जानते हैं कि भूखे रहने की पीड़ा कैसी होती है।
इंडियन फ्यूज़न – ‘द करी हाउस’
• छिब्बेर के अनुसार इस रेस्टोरेंट की शुरूआत उन्होंने साल 2009 में की थी और फ्री मील पिछले 2 सालों से रेस्टोरेंट में दिया जा रहा है। जबकि दरवाजे पर इस तरह के साइन की शुरूआत उन्होंने 6 महीनें पहले ही की है।
• वह बताते हैं कि यह संभव नहीं था कि वह हर किसी के पास जाएं और पूछें, क्या आप भूखे हैं? इसलिए मेरे मन में एक विचार आया कि अगर कोई भूखा है तो क्यों ना उसके लिए एक साइन लगाया जाए, ताकि वह खुद इसे देखकर खाना खाने आ जाए।
• छिब्बेर बताते हैं कि कई लोग दरवाजे पर साइन देखकर उनके रेस्टोरेंट में आते हैं। कई बार एक दिन में तीन से दस लोग रेस्टोरेंट में खाना खाने आते हैं और कई बार कोई भी दरवाजे पर रिंग नहीं करता। छिब्बेर इस तरह ज्यादा से ज्यादा लोगों का पेट भरना चाहते हैं।
किसने बनाया इंडियन फ़्युज़न को इतना पॉप्युलर
डेनियेला टिनटिनएग्लिया, एडमॉनटन की रहने वाली एक लोकल महिला है। उन्होंने इंडियन फ़्युज़न के बाहर यह साइन लगा देख कर इसकी एक फोटो क्लिक कर ली और इसे इमेजर पर अपलोड कर दिया, जिसके बाद सिर्फ दो ही दिनों में करीब दो मिलियन लोगों ने इस साइन को देख लिया। वह बताती हैं कि उन्होंने कभी भी यहां का खाना नहीं खाया, लेकिन अब वह यहां का खाना खाकर छिब्बेर को करना चाहती हैं।
ऐसा क्या हुआ जिसने छिब्बेर को यह काम करने के लिए प्रेरित किया
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छिब्बेर बताते हैं कि यह बात 1992 की है, जब उनकी शादी को सिर्फ तीन ही महीने हुए थे। एक दिन उनकी पत्नी चंचल नई दिल्ली में एक बस स्टॉप पर बैठी थी, तभी अचानक एक कार ने उन्हें ज़ोरदार टक्कर मार दी। इस एक्सीडेंट में उनकी पत्नी को 9 अलग-अलग तरह के फ्रैकचर आए थे। उनके शरीर में पांच रॉड डाले गए ताकि उनके शरीर की टूटी हुई हड्डियों को सहारा मिल पाए। वह ढाई सालों तक बिस्तर पर पड़ी रही, जिसकी वजह से अपनी पत्नी की देख-रख करने के लिए छिब्बेर ने अपनी रेस्टोरेंट की नौकरी छोड़ दी।
नौकरी छोड़ने के बाद उनके पास पैसे नहीं थे। वह दूसरों से हमेशा पैसों की मदद मांगने में शर्म महसूस करते थे। एक दिन वह और उनकी पत्नी भूखे थे, उन्होंने एक दोस्त के घर डिनर पर जाने का प्लान बनाया। इसके बाद अक्सर वह अपने दोस्तों के घर खाने के वक्त ही जाते थे, जिसके बाद कई लोगों ने उन्हें अपने घर बुलाना ही बंद कर दिया जबकि कुछ लोग जो उनकी परेशानी समझते थे और दयालु थे, उन्हें नाश्ते पर बुलाया करते थे।
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कब शुरू किया अपना खुद का काम
आखिरकार साल 2005 में छिब्बेर ने फैसला लिया कि वह अब कनाडा में अपनी ज़िन्दगी की नई शुरूआत करेंगे। इसके बाद वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ कनाडा आ गए और साल 2009 में उन्होंने इंडियन फ़्युज़न की शुरूआत की। छिब्बेर लोगों को पैसों की चिंता किए बिना फ्री में खाना खिलाते हैं। वह कहते हैं कि उनके पास लोगों को खिलाने के लिए काफी खाना है। वह मज़ाकिया अंदाज़ में कहते हैं कि उनके रेस्टोरेंट का अगला दरवाजा बिल देने के लिए है और पिछला थोड़ा व्यक्तिगत है।