बढ़ती आधुनिकता और चकाचौंध की आड़ में प्रकृति के साथ जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है। जिसका नतीजा है कि प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही हैं। कहीं सूखा, कहीं बाढ़ तो कहीं भयंकर तूफान आए दिन आते रहते हैं। इन सब के साथ ही तूफानों के हर बार अलग-अलग और अजीबो गरीब नाम भी सुनने को मिलते हैं। कभी सुनामी, कट्रीना, हुदहुद तो कभी कुछ और। हम सभी के दिमाग में कभी ना कभी ये ख़याल जरूर आता है कि आखिर तूफानों को इतने विचित्र नामों से क्यों पुकारा जाता है, तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह-
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जब भी कहीं किसी तूफान की आशंका होती है तो वहां के लोगों को सूचित करना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए लिखित रूप में या प्रसारण करा कर लोगों तक जानकारी पहुंचाई जाती है। ऐसे में ये आवश्यक हो जाता है कि तूफान को किसी न किसी नाम से पुकारा जाए। इसी वजह से तूफानों का नाम रखने की शुरूआत हुई।
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आपको बता दें कि शुरू-शुरू में जिस सन् में तूफान आते थे उसी सन् को तूफान के नाम के रूप में पुकारा जाता था। इसके बाद तूफानों को किसी लड़की के नाम से पुकारा जाने लगा। कुछ तूफानों का नाम पुरुषों के नाम पर भी रखा जाने लगा। कुछ सालों बाद भयंकर तूफानों का नाम रखने की जिम्मेदारी विश्व मौसम विज्ञान संगठन को दी गई। इस संगठन से जुड़ी एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था एक बेहद जटिल प्रकिया के द्वारा इन तूफानों का नाम चयनित करती है। तूफानों के नाम छह लिस्टों में रोटेट करके रखे जाते हैं। ये भी ध्यान दिया जाता है कि नाम छोटे हों। साथ ही अंग्रेजी, स्पेनिश या फ्रेंच भाषा के हों। आप यह भी जान लें कि जो तूफान ज्यादा खतरनाक होते हैं उनके नाम लड़कियों के नाम पर रखे जाते
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सन् 1950 से 2010 के बीच जितने भी विनाशकारी तूफान आये उनमें से 47 के नाम लड़कियों के नाम पर थे। इन सब के अतिरिक्त यह भी ध्यान दिया जाता है कि मध्य और उत्तरी अमेरिका के अलावा करेबियन भाषा का इस्तेमाल ना हो। जो तूफान ज्यादा विनाशकारी होते हैं उन्हें सूची से बाहर कर दिया जाता है ताकि भविष्य में उनका संदर्भ दिया जा सके और यह सूचि हर छह साल पर रीसाइकिल करनी पड़ती है।