अक्सर लोग अपनी जिंदगी में कुछ ना कर पाने के पीछे तमाम कमियों का हवाला देते हैं। ऐसे लोगों को फ्रांस की शिक्षा एवं रिसर्च मंत्री नजत बेल्कासेम के बारे में जरूर जानना चाहिए जो आज पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनी हुई हैं। अक्सर लोग जिंदगी में कुछ ना करने का जिम्मेदार गरीबी को ठहराते हैं, लेकिन नजत के बारे में जानने के बाद आपको इस बात पर विश्वास हो जाएगा कि अगर आप के अंदर ईमानदारी और जज्बा है तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।
वहीं दूसरी तरफ देखें तो लोगों की सोच सिर्फ कहने के लिए बदली है क्योंकि आज भी पूरी दूनिया में इस बात की चर्चा हो रही है कि प्रवासी किसी देश के लिए अच्छे है या नहीं? अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के नजदीक पहुंचे डॉनल्ड ट्रंप के बयानों ने इस बात की चर्चा को और बल दे दिया है। ट्रंप का ऐसा मानना है कि मेक्सिकन प्रवासियों को अमेरिका से बाहर कर देना चाहिए। इसी के साथ स्लोवाकिया और हंगरी जैसे देश भी सीरियाई बाहर से आए लोगों को शरण देने को राजी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में फ्रांस की शिक्षा एवं रिसर्च मंत्री नजत बेल्कासेम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हुई हैं।
नजत का जन्म 1977 में मोरक्को में हाशिए के गांव नादोर में हुआ था। नजत के पिता फ्रांस में कंस्ट्रक्शन वर्कर के तौर पर काम करते थे। उस दौरान नजत के पिता ने अपने परिवार को फ्रांस बुला लिया।
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पिता के बुलाने पर नजत अपने परिवार सहित 1982 में फ्रांस चली आईं। नजत का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। नजत ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए जी जान से मेहनत की। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद निजत ने सोशलिस्ट पार्टी को जॉइन कर लिया। जिस दौरान उन्होंने सस्ते घर दिलाने और भेदभाव को लेकर आंदोलन छेड़ दिया। फिर नजत साल 2008 में रोन अलपाइन से काउंसिल मेंबर चुनी गईं, जिसमें वो लगातार चुनाव जीतती रहीं। बस फिर क्या था उनके हौसले बुलंद होते गए और उनकी राजनीति को गति मिल गई। फिर उन्हें महिला अधिकार मंत्री का दर्जा मिला और साल 2014 में निजत को फ्रांस का शिक्षा मंत्री बना दिया गया।
मुश्किलों भरा रहा सफर
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नजत मोरक्कन मुस्लिम फ्रेंच मंत्री है। उनका बचपन भेड़ों के झुंड के बीच गुजरा है। वह खुद भी भेड़ों को चराने जाती थीं। जिसको लेकर लोग उन पर टिप्पणी किया करते थे। उनके ड्रेसिंग सेंस को लेकर भद्दी बातें की जाती थी, लेकिन निजत ने हिम्मत नहीं हारी और इन सब का डट कर मुकाबला किया। शायद अपनी इसी हिम्मत और काबिलियत के कारण ही वह चरवाहा से फ्रांस की शिक्षा मंत्री बन सकीं।